मन ना हुआ झांकना बंद करने का
हुई बड़ी प्यारा बाते इशारों में
चिलमन के पीछे से झांकना उसका
मनना हुआ उठने का वहां से |
वह क्या चाहती थी कह ना सकी
मन ने हाथों के इशारे से पर
थी बेकरार आपस में बातें करने को
उसके इशारे बता रहे थे वह कहाँ मिले |
कौन सा रंग पहन कर आएगी
कहाँ और कब आएगी
समय का ध्यान यदि ना रखा
बहुत कठिन होगा घर से बाहर निकलना
गली के कौने पर आकर मिलना
यदि किसी ने देख लिया
बहुत शामत आ जाएगी तुम ना समझ पाओगे |
ना चाहो छत पर पर आकर मिलना
वहां तो अधिक कठिनाई नहीं होगी
तुम बेआवाज आना चुपके से
आशा सक्सेना
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