१-हम खेलते
अवीर गुलाल से
साजन संग
रंग खेलते
राधा बरसाने से
कान्हां के संग |
३-भगत खेले
राधारानी के संग
फूलों के संग
४-चंचल राधा
कान्हां से अधिक ही
रुकमणी से
सबने खेली
अबीर गुलाल से
|आज होली है
अवीर गुलाल से
साजन संग
रंग खेलते
राधा बरसाने से
कान्हां के संग |
३-भगत खेले
राधारानी के संग
फूलों के संग
४-चंचल राधा
कान्हां से अधिक ही
रुकमणी से
सबने खेली
अबीर गुलाल से
|आज होली है
कहीं राह ना भटक जाना
यदि भूले से राह भटके खोज ना पाओगे
राह है कठिन कंटकों से भरी
कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ है
चौपायों को चराते यहाँ वहां
यदि उन में फंसे कष्ट पाओगे|
मुझे तो अभ्यास हो गया है
गाँव में रहने का सब से मिल जुल कर
कुए से पानी भर कर लाने का
हाथों से सब कार्य करने का |
अब आदत हो गई है यहाँ रहने की
मन में बस गया है गाँव में रहना
यहाँ के सारे काम काज में रुची रखना
सब से मिलना जुलना |
खुद को अलग नहीं समझना
यही जीवन है यहाँ का
ना कभी हम बदले ना भेद भाव किया
यहाँ के लोगों से देशी भाषा सीखी |
सीखे रीति रिवाज यहाँ के लोगों से
लोग यहाँ के कहते हमें अपना
यही तो यश पाया है हमने यहाँ
किसी ने हमें अपना तो कहा |
आशा सक्सेना
जब बीते दिनों की याद आई
वे दिन भी कितने प्यारे थे
कभी भुलाए नहीं भूलते |
अब हुआ उसे एहसास
मन करता है फिर से
बच्चा बन जाए मन मानी करे
किसी का कहा अनसुना करे |
किसी की सीख से ज्ञान ले
फिर भी सही गलत का भेद ना समझे
खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख
कमल का फूल तोड़ कर ||
फूल था दूर पंक से पंक में रह कर
सुन्दर सी चमक लिए
दिखता कितना प्यारा
जब सजाता झंडे पर |
आशा सक्सेना
जब तक जीवन में शांति रही
पर हुआ विचलित मन उसका
जब महांमारी ने पैर पसारे |
जब मुसीबत आई देश पर
आगे की पंक्ती में खडा रहा
अपनी रचनाओं से देश के वीर
सपूतों का साहस बढाया |
एक ऐसा कार्य किया जिसने
मनोवल बढाया इतना कि वे जुट गए
पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए
यह रहा महत्व इतना
देशवासियों ने दिलसे सराहा
जो भी लिखा देश हित के लिए
उनको सराहा गया पूरे मन से |
यही विशेषता रही वीररस की रचनाओं में
जब शांति का माहोल बना
बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से
कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी
खुशहाली देश की नजर आई |
आशा
राम श्याम को याद कर
जीवन कटता आसानी से
जो शिक्षा मिली उनसे
जीवन सरलता से आगे बढ़ा
ज्ञान की नदिया में बहते गए
जीवन सार्थक हुआ उनका |
जिसने कभी भजन ना किये होगे
मन पर बोझ रहा होगा
बड़ों की सीख ना मान कर
अनुभवों को ना स्वीकार कर |
दूरी हो जाएगी अधिक भगवान् से
मन बहुत दुखी होगा
दूरी मिट नहीं सकेगी
जब भजन होगा जीवन शांति से चलेगा |
आशा सक्सेना
जब दूर गया तुमसे याद तुम्हारी आई
ना निंद्रा आई ना चैन मिला
शांति सीमा पर थी
हाथ हिलाते देखा तुम्हें
मन बल्लियों उछला
सब से मिला पहले |
फिर कक्ष में आया
आश्चर्य हुआ मेरे मुंह से निकला
तुम यहाँ कैसे कैसी परीक्षा हुई
परिणाम कब तक आएगा |
आशा सक्सेना
रंग गुलाल लाया
खेलेंगे रंग
२-भक्त खेलते
फूलों के रंग बना
कान्हां के संग
३-मिलजुल के
रंग लगाते लोग
होली है आई
४-गीत फाग के
गाते हैं चंग बजा
थिरकते हैं
५- गुजिया खाना
बहुत अच्छा लगा
साकों के साथ
६-डाला गुलाल
मिलकेआपस में
भूल के बैर
आशा सक्सेना