17 मार्च, 2023

आखिर कब तक



 

 

 


 आखिर कब तक तुम्हारे पीछे चक्कर लगाता 

अपने मन की एक ना सुनता

 तुम से बहुत आशा रखी थी

यहीं भूल हुई मुझसे|

 यदि किसी बड़े का कहा माना होता

पर अंध भक्ति नहीं की होती

दिमाग का भी उपयोग किया होता

अपनी सोच समझ को एक ताले मेंबंद  ना रखा  होता

जो फल उस समस्या का होता

अपने हित में ही होता |

जो अपना हमें  समझते हैं  

 सही सलाह देते है

बिना बात ना  उलझन होती 

जीवन में शांति से जीते |

कोई समस्या सरल नहीं होती

दोनो ने मिल  हल कर ली होती

मस्तिष्क पर बोझ ना होता

उलझनों में अग्नि के शोले ना  भड़कते |

दौनों के मन में संतुलन बना रहता

कोई नही  उलझता अकारण

अपनी अपनी राह चुन लेता 

उसी पर अग्रसर होता |

 आशा सक्सेना

 

 

15 मार्च, 2023

किसी के प्यार में

किसी के प्यार में 

उसको भुलाया तुमने 

यह क्या किया

क्या यही तुम्हारा फर्ज था 

 अपने कर्तव्यों को भुलाया |

या तुम्ही भूले उसको 

क्या यही कुछ सीखा उसने या तुमने 

तुमने तो बताया था

उसकी हर बातको अंगीकार करोगे |

दिल  से अपनाओगे

पर तुमने अपना वादा तोड़ा 

उसके मन को ठेस पहुंचाई

अपना वादा उससे तोड़ा

सोचो कभी इस वादा खिलाफी को 

ईश्वरभुलादेगाऔर

तुम्हें क्षमा   कर देगा|

पर उसकेघर में देर है अंधेर नहीं

हर बात का लेखा लिखा है उसके खाते में

तुम   माननाउसका कहा 

राह  ना भटक जाना| |

आशा सक्सेना 

सौंदर्य एक बाग़ का

                                                      
 
                                                              सुबह हुई

                                                      ब्योम में सुर्खी आई 

                                                                 बाग़ में गई 



                                                          आसमान में 
                                                         है चहलपहल
                                                            पक्षियों की 

                                                     ठंडी हवा है 
                                                 पत्ती पत्ती हिली है 
                                                       ख़ुशी मन में 

महका बाग़ 
                                                               छोटे छोटे पुष्पों से 
                                                                      कई रंगों के

                                                                    पुष्प खिले हैं 
                                                                     आई रौनक वहां 
                                                                       चहके पक्षी 
                                                                   
                                                                                किसी ने किया
                                                                           पेड़ के नीचे बैठ                                                                                                                                                     आराम किया 
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                                                                                   आशा सक्सेना 

12 मार्च, 2023

नैनॉमें भरा समुन्दर पानी का



नैन दीखते भरे भरे 
कारण समझ से बाहर
कैसे नैनों में समुन्दर भर गया 
मुझे आश्चर्य नहीं हुआ यह देख |
हर बातपर  बरसता गरजता बादल 
सीखा यही उससे कभी  बातों पर
सब ने समझाया भी 
पर कहना नहीं माना उसने 
किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लिया 
यही बचपन से  सीखा उसने 
मन की मन मानी की उसने 
जितना भी रोका गया 
उसने वही कार्य करने की ठानी
|सब हारे समझा समझा कर 
पर मन मानी करने में जोआनंद आताथा
उससे बच नहींपाया
थक हार कर दर्पण देखा एक दिन जब 
बड़ा परिवर्तन खुद में पाया खुद में 
मन में उदासी का आलम देखा 
फिर कहना मानने की कसम खाई
अपनी गलती परउसे बहुत लज्जा आई |
आशा सक्सेना 

रंग रंगीली होली

   

रंग रंगीली होली आई  रे 

किया सारे साल इंतज़ार  होली का 

काफी दिन पहले से 

घर की सफाई की 

 मिठाई बनाई |

 खेला रंग मित्रों के संग 

श्याम पड़े होली जुलाई

 हिल मिल मिठाई खाई 

आपस का भेदभाव भूले

गले मिले बैर भूले 

मन में कोई कटुता नही रही 

यही है विशेषता इस त्यौहार की 

वर्ष में एक बार ही ऐसा त्यौहार आता है 

जब जाति धर्म का भेद नहीं होता

सिर्फ बड़े छोटे का ही अंतर होता है  

छोटे सब बड़ों के पैर छूते 

बड़े आशीष देते और बहुत खुश होते |


आशा सक्सेना 


11 मार्च, 2023

आज के परिपेक्ष में

जब जाना आज का परिपेक्ष 

सम्हल सम्हल कर कदम रखे

किसी से हो कर सतर्क

 सावधानी नहीं भूलोगे 

 किसी को अपना समझ कर

हर बात  सांझा की हर बात बताई सहज मे

जब राज  उजागर हुए मन में खटास आई |

किसी को कह ना सका उसे अपना

हुए सब गैर कोई अपना ना हुआ

गैर समझा उसको

 अपने भी हुए गैर |

चन्द बातो पर उसका रुखदेख 

देख मन उलझा मेरा

एक बात समझ में आई देखो

अपना ना समझों पहले देखो उसे बरतो|

 यदि परख लिया हो ठीक से

आगे पैर बढ़ाओ

यदि गलत राह नहीं खोजोगे 

बड़ों की बात मानोंगे 

पैर गलत नहीं पड़ेगे

तुम अकेले नहीं रहोगे 

सब का साथ लेकर जब चलोगे |

आशा सक्सेना

 


10 मार्च, 2023

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस

महिलाओं ने प्रगति की अपार 

कोई क्षेत्र ना छोड़ा 

अपने पैर जमाने को 

हुई सफल हर क्षेत्र में |

यही योग्यता पहले

ना जानी किसी ने 

घर बाहर हर क्षेत्र में

सबने  सराहा उन्हें  |

पहले ना समझी

उनकी योग्यता 

को जब परखा

जितनी भी तारीफ की जाए 

शब्द भी कम पड़ते

उनकी  प्रशंसा के लिए|

सारे संसार में सभी जगह

कहाँ नहीं दीखता उनका वजूद

यही तो योग्यता है उनकी 

उन्हें सराहा जाता|

तभी अन्तराष्ट्रीय  महिला दिवस  

मनाया जाता धूमधाम से 

हर वर्ष मनाया जाता 

अंदर बाहर दौनों क्षेत्रों में

कभी पुरूस्कार भी दिए जाते

शानदार कार्यों के लिए|



 

आशा सक्सेना