जिन्दगी करवटें लेते गुजरी
कोइ काम किया ना किया
कुछ भी रचनात्मक न हो सका
खुशहाल जीवन जिया या ना जिया हमने |
किसी भी आकर्षण ने बरबाद ना किया
मनमानी की आदत ने समाज से भी दूर किया
खेरियत यही रही सीधी राह पर चले
यहाँ तक आते आते राह नहीं भटके |
बचपन में जो देखा सुना था
वही प्रभाव रहा मन में बस एक बात अच्छी रही
और किसी का प्रभाव नहीं पड़ा मन में
अपना वजूद ना खोया हमने |
हम तो हम थे अंधभक्त नहीं
जहां थे वहीं रहे आगे बढ़ने की चाह में
कुछ नया नहीं सीखा सद्गुणों के
सिवाय
कुप्रभाव से दूर रहे यही क्या कम है |
किसी के गलत प्रभाव में नहीं आए
कितनी बार मन में आया
अकेले जीवन गुजरेगा कैसे
किसी को समय नहीं हमारे लिए |
पुस्तकों से अच्छा मित्र कोई नहीं
उनके साथ समय कहाँ कट जाता है पता नहीं चलता
घंटों व्यस्त रहती हूँ पढने लिखने में
थकते ही कल्पना जगत में खो जाती हूँ |
आशा सक्सेना