कब गाए गीत मिलन के
यह भी भूली किसके साथ
याद किया वह फिर भी ना आई
झुले पर झूल रही
केवल सखियाँ याद रहीं |
फिर भी जब ध्यान जाता
निगाहें खोज रहीं तुमको
तुमने तो वादा किया था
सावन जाते ही मुझे लेने आओगे
पर तुम नहीं आए |
कभी सोचा नहीं था
इतनी जल्दी सावन जाने का समय आने को है
राह देख रही हूँ
कितनी जल्दी सावन बीता है
मेरी सहेलियां जाने लगी हैं |
मुझे है इन्तजार तुम्हारा आने का
यादों को सहेज कर रखा है तुम्हारे लिए
तुम जल्दी आजाओ
अब इन्तजार नहीं होता क्या किया जाए |