26 जुलाई, 2023

फिर दरार क्यूँ

उसने तुमसे प्यार किया 

कभी खुल कर ना इजहार किया  

जीवन की घड़ियाँ होती कठिन 

किसने की शिकायत तुम्हारी

तुम  कान के कच्चे तो नहीं 

घर में यह है हाल 

तब बाहर ना  जाने क्या होगा |

तुमने उसे अपनाया नहीं

एहसास कराया नहीं

कि उसका तुम्हारे

 सिवाय कौन होगा |

 तुम से बड़ा हितेषी आजतक

उसने कभी  देखा नहीं, परखा नहीं

उसका क्या संबध  रहा तुमसे

 क्या सोचा तुमने उसके लिए

फिर संबंधों में दरार, क्यूँ किस लिए

आशा सक्सेना 

 

 

25 जुलाई, 2023

कब तक मुझे सिखाओगे

कब तक मुझे सिखाओगे 

मेरा मन नहीं मिलता 

किसी से यह कैसे समझाओगे 

ऐसा  स्वभाव मेरा,

 मुझे कुछ करने नहीं देता  |

यदि कोई मुझे कुछ  कहे 

,मुझे सहन नहीं होता 

यही समस्या है मेरी 

मैं कुछ कर नहीं पाता 

खुद निर्णय भी ले नहीं पाता |

अब मैंने छोड़ा है खुद को 

करतार तुम्हारे  हवाले 

तुम हो मेरे पालन हार  

मुझे सब से प्यारे 

मैं दीन दुखी याचक तुम्हारा 

 दया भाव रखोगे मु झ पर

यही चाह है मेरी आज तक 

मैं तुम्हारे चरणों में रहूँ 

तुम्हारी तन मन से सेवा करू

 तभी मेरा होगा कल्याण 

मुझे किसी पर नहीं विश्वास

यही हाल है मेरा मैं किसे  बताऊँ |

आशा सक्सेना 

24 जुलाई, 2023

मन की शान्ति

 कविता है बड़ी छोटी सी 

 अर्थ गूढ समझ से बाहर 

जब भी गहन अध्यन किया 

बड़ा आनन्द  आया |

खेल खेल में ले किताब  हाथ में 

 पढ़ने का शौक पनपा 

धीरे धीरे  बढ़ने लगा 

पर विषय वार पुस्तकों से हुई दूरी 

प्रभाव दिखने लगा 

पढाई में मन ना  लगा |

नंबरों की घटती संख्या 

ने सब को सतर्क किया 

चाहे जब डाट पड़ने लगी 

 समझ में आई अपनी गलती 

समय निर्धारण हर काम का

 नहीं किया था अब सारी पढाई

 चौपट होते दिखी

 बार बार रोका टोकी की जब सब ने 

समझ में आई अपनी भूल 

मन को क्लेश हुआ |

अब वक्त का महत्व समझा 

  फिर पढ़ने में मन लगाया 

अब किसी को कोई शिकायत नहीं है 

अपनी किताब पढने के लिए

 समय निर्धारित किया 

अब किसी को शिकायत नहीं थी 

उसे भी मन में शान्ति मिली

आशा सक्सेना 


23 जुलाई, 2023

तुमने क्यों की अपेक्षा

 

जन  मानस से क्या अपेक्षा

जब खुद ने किसी की अपेक्षा  पूर्ण ना की 

लटकाए रखा दूसरों को अधर में |

कोई किसी की मदद करे

 यह कैसे सोच लिया तुमने ,

जब खुद ने किसी की मदद ना की

 समय पर किसी के काम ना आए

 वह कैसे कह सकता है

 तब तो सोचा होता 

किसी और को भी आवश्यकता

 हो सकती होगी तुम्हारीजैसी 

लटकाए रखा तुमने उन्हें  

हाँ , ना के झुले में झूलते रहे  

  कोई निर्णय ना ले पाए

 तुम्हारी मदद यदि पक्की होती

 वे किसी और की राह नहीं देखते ,

तुमने तो उलझा दिया उनको|

आशा सक्सेना 

22 जुलाई, 2023

 

२-मेरे मन की

अब तैयारी है किताब ‘सांझ की बेला में ‘अठारावे कविता संग्रह के प्रकाशन की |जल्दी ही वह  आपके सन्मुख होगा आप ही निर्धारित करेंगे पुस्तक कैसी लगी मेरे निर्णायक आप  मेरे पाठक ही हैं|मुझे क्या लिखना है क्या नहीं आप पर निर्भर है |

लेखिका

आशा सक्सेना 

21 जुलाई, 2023

मन की डावाडोल स्थिति

एक अनोखे सोच ने 

कपकपा दिया तन मन को ऊपर से नीचे तक

मुझे मजबूर करता  सोचने को

कि मेरा वजूद क्या है ?

ना कभी किसी ने मुझे टोका ना रोका

जो मन को अच्छा लगा किया

जैसे जीना था जिया

हर बात मैं अपनी चलाई मनमानी की |

जब  तक किसी का कहना ना  माना

आगे पीछे का ना सोचा

समाज से भी दूर किया खुद को

यही सही ना किया |

किसी का प्यार पा ना सका

किसी को दिल से  अपना ना सका

किसकी गलती रही होगी

यह भी जान ना पाया |

फिर सोच उभर कर आया मेरा कसूर क्या है

लोग अपना विचार तो नहीं करते

दूसरों पर सब गलतियां थोप

चैन की सांस लेते हैं |

आशा सक्सेना 

हाईकू

१-तुम्हारी यादें 

आकर चली गईं 

का जाने कब 

२-दिल पुकारे 

तुम ना आओ 

यह कैसे हो 

३-मेरी कविता 

का सर  हीं  पाँव 

यह क्या हुआ 

४- ना तुम  याद 

नहीं नुझे बुलाओ 

यह क्या है 

५-चंचल मन 

समझ नहीं पता

 यादें किसकी 

६- अवगुण हैं 

किसमें कब तक 

उसने  जाना |

 आशा सक्सेना