किसी का दखल नहीं पसंद उसे
वह स्वतंत्र रूप से
रहने वाली
जिसने भी दिया दखल बीच में
है वह पलटवार करने
वाली |
कभी नहीं सोचा उसने भविष्य के बारे में
जिसने भी सलाह दी उसे
मूर्ख ही समझा उसको उसने
मन संताप से भरा उसका |
वह दखलंदाजी सह ना
पाई
उसने उससे किनारा किया
मन से दूर रखा उसको
कभी फिर पास आने ना दिया |
कोई कुछ कहे सुने या
बीते कल को दोहराए
यह आजादी ना दी उसने कभी
तभी समाज में स्थान बना पाई
अपनी स्वतंत्रता को तर्क कुतर्क से रखा दूर |
मन का संतुलन बनाए रखा
किसी को नहीं दिखाया अपनी परेशानी को
कोई अंदाज़ भी ना कर पाया
उसकी समस्या क्या है |
उसने एक ही सिद्धांत अपनाया
अपनी समस्या का उसे ही हल निकालना है
कोई अन्य की सहायता नहीं स्वीकार उसे
कोई सहायता तो करता नहीं
पर व्यवधान डालने में अधिक आनंद लेता |
आशा सक्सेना