06 नवंबर, 2023
हाइकू
१-कुछ कहना
सुनना नहीं अब
यादें ही बाक़ी
२--तुम्हारे बिना
मन भटकता है
याद सताती
३ -कैसे भूलती
जिसे ना भूली कभी
पल भर को
४ -तन्मय रही
अपनी यादों में खोई
व्यस्तता रही
आशा सक्सेना
04 नवंबर, 2023
भक्तों की महफिल
भक्तो की महफिल में
भावों का समूहन हुआ
भावनाएं प्रवल हुई
भक्त हुए आसक्त उन में |
दोनो रहते साथ आपस
कोई बहस नहीं होती
मिलजुल कर साथ आते जाते |
जब आहाट होती दरवाजे पर
महमानों का स्वागत होता
दिलो जान से खुश हो कर
मेंहमानों को बैठाया जाता मंच पर |
कार्यक्रम पारंभ होता परिसर में
मां सरस्वति के पूजन अर्चन से
अपने अपने विचार रखे जाते
सब के समक्ष पूरे प्रमाणों से |
कार्यक्रम सफल होता
भगवत भजन की अन्तिम प्रस्तुति से
सब का स्वागत होता पुष्प मालाओं से
सब प्रस्थान करते अपने अपने घरों को |
आशा सक्सेना
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03 नवंबर, 2023
कोई नया नहीं
यह कैसी जिन्दगी
कुछ नया नहीं
फैला -चारो ओर अन्धेरा
जीवन में खुशी नहीं |
फैला हुआ दुखी जीवन
उजड़ा हुआ सारा जीवन
किसी काम का नहीं
खुशहाल छोटा सा जीवन हो
इसी की राह देखती है |
सपने सजाती है इसके
कठिनाई से रहती है दूर्
प्यार के बहुत नजदीक
प्यार पशु पक्षियों से करती |
अपने बच्चों को भी यही सिखाती
प्यार प्रेम को गले लगाओ
दुनिया में सफल होजाओ
सब के प्रिय होते जाओ |
आशा सक्सेना
02 नवंबर, 2023
आगमन वर्षा का
1-सुनहरी है
शाम की रंगीनियाँ
अस्त सूरज
२-हरी पत्तियाँ
वृक्षों पर सोहतीं
मुरझा गईं
३-हरा भरा है
बगिया का आलम
माली खुश है
४-सावन आया
झरझर बरसा
टपका जल
५-बादल घिरा
बिजली कड़की है
बर्षा हो रही
६- सर्द हवा है
बहती है खुशी से
नाच मयूर
७-ओले बरसे
भर लिए थाल में
दवा के लिए
८ -वर्षा आई है
सुहाना मौसम है
चलो घूमने
आशा सक्सेना
01 नवंबर, 2023
आज करवा चौथ है
आज करवाचौथ
है |
बिना जल के कठिनाई से
शाम का समय निकलता
बहुत मुश्किल से |
कुछ समय तो
गृह कार्य में निकल जाता
कुछ पूजा में
कुछ चाँद निकलने के बाद |
चाँद कभी समय पर उदय हो जाता
कभी बहुत इंतज़ार करवाता
टाइम होते ही बच्चे ऊपर छत पर जाते
चंद्रोदय की सूचना देते |
पूजा की थाली जल्दी से ले कर
छत पर आ दर्शन करती
छलनी में मुंह देख पिया का
पूजन पूरा करती |
आशा सक्सेना
31 अक्तूबर, 2023
ख्याल मन का
यह ख्याल है या मलाल मन का
जीवन का कुछ उधार है
ना जाने क्यों खुशी आती है
और गुम हो जाती है पल में |
पल भर की खुशी टिक कर रह नहीं पाती
यदि आजाए किसी को सहन ना हो पाती
मन को गहरे घाव दे जाती पर
मैं असहाय सी देखती रह जाती |
कभी खुद पर बहुत क्रोध आता है
कभी अपनी कमजोरी पर तरस आ जाता है
जानने लगी हूँ असफल रही
जीवन में आगे बढ़ने को |
पर खिली खिली ना रह पाई
रही आधी अधूरी जीवन भार सा
पर मेरे हाथ में क्या रहा
अब तक जान नहीं पाई |
यही सिखाया मुझे किसी के व्यवहार ने
अब वही गलती मेरे हाथों से न होगी
सब से मिलजुल कर रहूंगी
किसी से बहस ना करूंगी |