१- कविता संग
है शब्दों की तरंग
मधुर गान
२-अभिव्यक्ति है
स्पष्ट और सटीक
अच्छा लगा
३-लेखन हुआ
भाषा विज्ञान सा ही
सार्थक ठीक
४-कलम कार
किसी से कम नहीं
मन को छूता
५-क्या लेखन है
पठन पाठन का
विस्तार हुआ
आशा सक्सेना
१- कविता संग
है शब्दों की तरंग
मधुर गान
२-अभिव्यक्ति है
स्पष्ट और सटीक
अच्छा लगा
३-लेखन हुआ
भाषा विज्ञान सा ही
सार्थक ठीक
४-कलम कार
किसी से कम नहीं
मन को छूता
५-क्या लेखन है
पठन पाठन का
विस्तार हुआ
आशा सक्सेना
गीत के लिए मन का 
मीठा होना है आवश्यक  
यह मिठास जब आएगी
 मन में चैन आएगा |
खुशहाली होगी हर ओर 
हरियाली लेगी मन मोह 
मन की  मिठास पैदा होगी 
तभी  वाणी  मीठी होगी|
यह है सोच का प्रताप
बुद्धि का  परिष्कार 
जिसने जैसा सोचा 
उसकी  बोली  हुई वैसी  |
यही मिठास उसे
सब के पास ले जाएगी
सामाजिक बनाएगी
वह मधुर गीत गाएगी
जीवन सफल होगा उसका |
आशा सक्सेना
गीत गाने के लिए 
गुनगुनाने के लिए 
kujकुछ तो अवसर चाहिए 
जो हों  आवश्यक इस अवसर पर |
समय समय पर गाए जाने वाले
गीतों का 
अपना ही आनंन्द है
 अबसर यदि सही हो 
मजा कुछ और ही  होता है |
गाना चुनना और धुन बनाना 
नहीं है इतना कठिन
पर इसके लिए
 शिद्दत होती जरूरी |
यदि सही धुन चुनी जाए 
तन्मय हो कर गाया जाए
नृत्य हो साथमें
कुझऔरहींहोताहै
आज बड़ी उलझन में हूँ 
मैंने  सोचा था 
सारे कार्य पूर्ण कर लिए हैं 
जिम्मेदारियां सारी संपन्न हुई है   |
शायद यह मेरी भूल रही 
एक पुस्तक में पढ़ा था 
जब बच्चे बड़े हो जाएं 
उन पर सोंपी जाए जुम्मेदारियाँ 
यदि वे सक्षम और समर्थ हों 
उन की मदद ली जाए 
पर यहीं मै गलत थी |
यदि खड़े खड़े आते
 सब को अच्छे लगते
मेंहमान की तरह स्वागत होता |
पर आज के युग में हमें 
गैर की तरह समझा जाता है 
कोई प्यार नहीं किसी से  
नाही मोह माया यहाँ 
भूल से भी सोचा नहीं कि
हम भी कुछ लगते हैं |
आशा
१-आज दिवाली
दीप जलाए गए
लक्ष्मीं के लिए
२-हलकी ठण्ड
लक्ष्मीं स्वागत किया
दीप जलाए
३-दीप जलाए
घर को स्वच्छ किया
द्वार सजाया
४-तुम ना आए
कितनी देखी राह
बीती दिवाली
५- देखी राह
हार गई अँखियाँ
राह देखते
आशा सक्सेना
राग द्वेष माया मोह
जब हों  दूर जीवन से
 सफल जीवन की आशा की
जाए 
यदि एक का संतुलन बिगड़े
 दूसरा भी बहे उसी
के साथ |
आशा निराशा के झूले में 
जीवन झूले बहुत डर के 
आत्म बिश्वास कम तर हो जाए 
यदि किसी की वर्जना मिले |
हम प्यार को तरसे जीवन में 
जब किसी का संबल ना मिले 
घोर निराशा से घिरे
 बच ना पाए इससे |
यही कमीं रही खुद में 
बच  ना पाए इन
कुटेवों से  
सफल ना हुए जीवन में 
 खुशहाली  पा ना  सके |
जिसने भी मन्त्र दिए खुशी पाने के लिए 
कोई भी सफल ना हो पाए  
पीछे हट कर  मांफी
मांगी 
हम जिए अपने हाल पर |