मन मयूर नृत्य करता हो कर तन्मय
कोई खुशी मन में ना रहे शेष
यही दुआ करता प्रभु से
खुद नाचता झूम झूम प्रकृति
में |
तब कोई उदास दिखाई ना देता
पर जब वह अपने पैर देखता
अश्रु जल अपने आप
उसके नयनों से छलकता |
यह आंसू ही मोहते मोरनी को
वह खिची चली आती उसकी ओर
दौनोंएक साथ नृत्य करते
समा रंगीन हो जाता |
आशा सक्सेना