05 दिसंबर, 2023

कैसे लिखूं कविता

 “कैसे लिखू कविता”

मुझे  छंदों का ज्ञान नहीं

ना ही मुझे मीटर का बोध

कभी बड़ी कमी लगती है

लेखन मैं  परिपक्वता नहीं आई अब तक  |

 मन  है निराश क्यों अब समझ में आया

केवल शब्द चुनने से कविता नहीं बनती

 कोई विचार लिपि बद्ध करने से

कविता का रूप नहीं सुधरता |  

मन पर  प्रभाव नहीं पड़ता

जब तक विचार सशक्त नही होता

उसे बिम्बों से सजाया नहीं जा सकता

छंदों में  ठीक से ढाला नहीं जाता | 

जो कहना चाहती हूँ कह नहीं पाती

वह खुशी नहीं मिलती जिसकी रहती अपेक्षा  

सीधी सच्ची बातों को लिपि बद्ध करने में

भावों को विशेष रूप से ढालने में चौपाई में |

रही असफल कविता लिखने में

पर कोशिश नहीं छोड़ी कभी सफलता आएगी 

सबने कहा किसी और विधा में लिखो

पर है कोशिश बेकार मन ने नहीं स्वीकारा इसे

जैसा भी लिखूं सब मुझे अच्छा लगता है |

स्वयं की संतुष्टि के लिए यह भी कम पड़ता है

विविध विचारों को रंग देती हूँ प्रसन्नता के लिए खुद के मन की खुशी के लिए

सोचती हूँ कभी तो सफलता होगी  मेरे पास |

आशा सक्सेना      .  

हाइकु (तोता )

 

 


१-यह है पक्षी
रंग उसका हरा 
चौंच है लाल  

२-उड़ता पक्षी 
  पंख फैला खुशी से 
यहाँ से वहां 

३-हरियाली है 
बागों में  बहार है 
सुगंध फैली 

४- सुबह की सैर 
खुशियाँ भर रहीं 
जीवन जीवंत 

५-तोता आया है 
मीठी बोली बोलता 
मन लुभाता 

आशा सक्सेना 



03 दिसंबर, 2023

जंगल का नजारा

 

सूखे पीले पत्ते बिछे सारी  राह में

हवा के साथ में  बह चले

धूल धक्कड़ होती  चारो ओर

वहां खड़े रहना होता मुश्किल |

 पतझड़ का मौसम बड़ा अजीब  लगता

सूखी डालियाँ नजर आतीं

 वन वीरान होते जाते

 कुछ पेड़ों में हरी पत्तियाँ झाँकतीं डालियों के कक्ष से  |

कुछ समय के बाद पेड़ में हरियाली के दर्शन हुए

लहलहाई पत्तियों से लदी डालियाँ

अनोखा आकर्षण आया लहराती डालियों में

गीत गाते रंग बिरंगे  पक्षी यहाँ यहाँ वहां डोलते |

जब कानों में गूंजती वह  मधुर ध्वनि

पैर स्वतः ही बढ़ने लगते जंगल  की ओर

उसमें ही रमना चाहते वहां हरियाली में

घूमना चाहते ताजी हवा में |

भुवन भास्कर के आते ही पत्तियों पर

पैर पसार् लेतीं रश्मियाँ

पूरा बाग़ चमक उठता उनकी आभा से

मन होता कुछ देर ठहर जाऊं वहां |

आशा सक्सेना 

02 दिसंबर, 2023

है जीवन अधूरा तुम्हारे बिना

 है जीवन अधूरा प्रिय  तुम्हारे बिना

पहले भी खालीपन रहता था

जब कभी तुम बाहर जाते थे

जल्दी ना लौट पाते थे |

आते ही मेरी  शिकायतों की

 दुकान लग जाती थी

फिर भी  देर तक रूठी ना रह पाती थी

मन ही जाती थी |

अब वह भी संभव नहीं

तुमने साथ जब  छोड़ा मैं  अकेलेपन से घिरी

अब किसी का साथ नहीं है

मन पर बोझ भारी है |

कितनी कोशिश करती हूँ

मन को व्यस्त रखने की

पर चित्त एकाग्र नहीं हो पाता

कैसे उसे समझाऊँ ,यह किसी ने न बताया  |

धीरे धीरे आध्यात्म की ओरझुकाव होने लगा

 शायद सफल हो पाऊं इसमें कुछ तो कर  पाऊं

प्रभु को पाकर ही अपने को धन्य मानूं |

आशा सक्सेना

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01 दिसंबर, 2023

अनुभव


अथाह ज्ञान केवल

 पुस्तकों से नहीं आता

बहुत प्रयत्न करने होते

 अनुभव के संचय के लिए |

यह  ज्ञान से नहीं आते

उनको भी गुनना पड़ता है

 जीवन में उतारना पड़ता है 

 जीवन में अनुभवों की कमीं नहीं | 

यह क्रिया तभी संपन्न होती है

जब मन में दृढ प्रतिज्ञा हो

 जीवन में उतारने की क्षमता हो 

किसी के कहने सुनने से

 कुछ नहीं होता 

मन में होना चाहिए ललक 

परखने की व अनुकरण की |

उनको सीखने के लिए

 जीवन में उतारने के लिए

 नियमित अभ्यास की 

होती है आवश्यकता |

पूर्ण श्रद्धा से किये कार्य

 अनुभव से सफलता ही देते हैं

जीवन में असफलता

 कभी नजदीक नहीं आती |

आशा सक्सेना 


30 नवंबर, 2023

तुम्हारे सानिध्य में

 

तुम्हारे सानिध्य में उसे

तुम्हारा भक्त बना दिया है

पहले जीवन बेरंग था तुम पर  आस्था रखी

जीवन सार्थक कर दिया |

यही आस्था और विश्वास उसे

जीवाव जीने की प्रेरणा देते उसे

कितनी भी समस्या आए

उसको  पार करना सिखा दिया उसे |

जीवन  में  समस्याओं की

कोई कमी नहीं होती

यदि उनसे दूर भागे

 कैसे सफल जीवन जी पाएंगे |

जितनी कोशिश उनसे

 बाहर  निकलने की करेंगे

जितनी  सफलता पाएगे

 तुम पर आस्था बढ़ती जाएगी

 और प्रगाढ़ होती जाएगी |

आशा सक्सेना

29 नवंबर, 2023

हाइकु

 

१-जीवन नैया

जल में डाली गई

आगे बहती

२-कहते रहे

यह क्या हो रहा है

किसी ने कहा

३-कविता गाई

मन में बसी रही

बड़े प्यार से

४-चतुर हुए

गीत गीत गाकर

पाई प्रशंसा

५-गुनगुनाओ

गीत मधुर लगा है

 शब्द प्यारे हैं |

आशा सक्सेना