06 जनवरी, 2024

जिन्दगी चमक दमक से भरी

 हिंदी ब्लागर्स

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चमक दमक से भरी है

जिन्दगी है आज की

लोग जीते हैं आधुनिक जीवन

अंतर से खोखले रह गए |

हम भी रहे इसी श्रेणी में

जाने कैसे दोहरा जीवन जीने लगे

अमुभव न कर पाए |

एक दिन जब झटका लगा

गिरे जमीन पर

झटके को महसूस किया

भरी आँखों से देखा

आसपास कोई न था सहारे के लिए |

अपने को बहुत असहाय पाया

जान लिया कहाँ जी रहे थे

किसी से सहारे की

कोई आशा न देख

कोई आशा न थी

अश्रु जल बह्चला बेग से |

आशा सक्सेना

से भरी है

जिन्दगी है आज की

लोग जीते हैं आधुनिक जीवन

अंतर से खोखले रह गए |

हम भी रहे इसी श्रेणी में

जाने कैसे दोहरा जीवन जीने लगे

अमुभव न कर पाए |

एक दिन जब झटका लगा

गिरे जमीन पर

झटके को महसूस किया

भरी आँखों से देखा

आसपास कोई न था सहारे के लिए |

अपने को बहुत असहाय पाया

जान लिया कहाँ जी रहे थे

किसी से सहारे की

कोई आशा न देख

कोई आशा न थी

अश्रु जल बह्चला बेग से |

आशा सक्सेना

 

05 जनवरी, 2024

हाइकु

 

१-बचपन में

किस बात की चिंता

सभी सुख हैं

२- किशोर वय

बाहर का नजारा

आकृष्ट हुआ

३-यौवन आया

भौतिक जीवन है

जिसमें खोया

४-  कदम बढ़े

धर्म झांका  मन में

हुई धार्मिक


5-भक्ति जगी   

 रही सफल जीती  

मिली प्रभु से

 

आशा सक्सेना 

04 जनवरी, 2024

शेष जीवन में क्या करें

 

कितना जीवन है शेष  

कोई न जान सका

कोशिश मैंने भी की

पर सफल न हो पाई  |

काम कितने पसारे जाएं  

इसका भी अंदाज नहीं 

यदि पहले ही आत्मा ने 

चोला छोड़ा तब क्या होगा |

किसी ने नहीं बताया कब बुलावा आएगा 

चाहे कितना भी बड़ा पंडित हो 

तभी कहा जाता इतने ही काम पसारो 

जो पूरे किये जा सकें अधूरे कार्य न रहें |

तभी शान्ति से मुक्ति होगी

मेरे मन में संतुष्टि होगी

 यह आत्मा नहीं भटकेगी

जीवन सफल हो  पाएगा |

आशा सक्सेना 

03 जनवरी, 2024

मैंनेअब सोच लिया है

मैंने तो  सोच लिया है 

मुझे क्या करना है 

क्या करना चाहिए 

क्यों नहीं करना चाहिए |

किसी से बैर नहीं  होने  से 

खुश हाल जिन्दगी जीना है 

किसी से बैर पाल कर क्या मिलेगा 

 होगा क्या मुझे मालूम है   |

यदि पूरा मालूम न भी हो 

कुछ तो जानकारी है अवश्य 

 कठिनाई से  कैसे दूर रहूँ 

क्या रखा है उलझनों में |

यदि उलझन से दूर रही 

 सही रूप रूप से जी पाऊँगी  

यदि सही रूप न जान सकी 

घुट घुट कर यूंही मर जाऊंगी  |

ईश्वर के नजदीक रही अगर 

कोई गलत राह नहीं चुनूंगी 

मिलेगी सही राह जब 

जीवन खुशियों से भर लूंगी |

आशा सक्सेना 

02 जनवरी, 2024

हाइकु

 

१-जिस दिन से

यह खेल हुआ है

  मजा आ गया  

२-जिन्दगी  यहाँ 

सीधी लकीर नहीं

 कांटे  हैं यहाँ 

३- उलझन है

मार्ग सीधा नहीं है

कोशिश करो

४-सागर नहीं

गहरा सरोबर

गहरी खाई

५-कितना भय

जल कलकल से

भय ना कर

आशा

सुबह हुई फूल खिला

 



बंसी वाले  की शक्ति

 राधा है बरसाने की  

तभी नाम आगे आता

 उसका कृष्ण के पहले |

जब पूजन किया जाता

 राधा कृष्ण बोला जाता

पहले राधा का नाम ही आता

मंदिर मैं है स्थापित 

राधा मोहन की मूर्ति |

सुबह हुई पुष्प खिले बागों में 

माली की ख़ुशी का 

ठिकाना न रहा जब फूल ले जाए गए 

चढ़ाए जाने को मंदिर में |

जब मंदिर से घंटियों की 

आवाज आने लगी ढोल बजा आए भक्त 

नमन के लिए राधे श्याम की |

अनोखा सौदर्य विखरा वहां 

चलते राही ठिठक कर रह गए 

रुके दर्शन को राधे श्याम के 

अभूत पूर्व सुकूँन मिला भक्तों को  |

आशा सक्सेना