18 जून, 2016

वह सोचती



-
खिड़की के भीतर झांकती
फिर सोच में डूबी डूबी सी
धीरे से कदम पीछे हटाती
यह मेरा नहीं है न कभी होगा
कमरा है भैया का उसी का रहेगा |






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हाईकू


तपता  सूरज के लिए चित्र परिणाम
तपता सूर्य
बदहाल करे है
जीने न देता |

जलते पैर
दोपहर धूप में
कैसे निकलें |

बिन बदरा 
जल की है फुहार 
राहत मिली |
कारे बदरा 
झूम झूम बरसों 
इंतज़ार है |

 नील गगन 
बादल बिन जल 
त्राहि त्राहि है |

चला फब्वारा 
आभास है वर्षा का 
मन प्रसन्न |
 

आशा

15 जून, 2016

अरे यह क्या ?

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अरे यह क्या ?
हैयहाँ अपार शान्ति
अंतर से उपजी या थोपी गई
कारण जान न पाए
मुंह पर लगी पट्टिका का
राज  समझ न पाए
यह तभी पता चलेगा जब
उसे बोलने का
अवसर मिलेगा
मुंह पर से पट्टिका हटेगी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी
इस मौन के पीछे कहीं
कोई तो कारण होगा
है यह स्वनिर्मित या सुझाया गया
कटु भाषण से बचने के लिए या
आरोप प्रत्यारोपों से
खुद को अलग रखने के लिए
उत्सुकता अवश्य है जानने की
कि मुंह पर यह पट्टिका किस लिए
कहीं ऐसा तो नहीं
हो वाणी पर संयम नहीं
पर सब तभी पता चलेगा
जब silenceकी पट्टी
मुंह से उतरेगी
उसकी वाणी मुखर होगी |
आशा



13 जून, 2016

रक्त दान महादान


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बेटी को चोट लगी
मां की आँखें छलकीं
बेटे का जब रक्त बहा
मन पिता का बेहाल हुआ
है यह रिश्ता खून का
ना कि किसी पर थोपा गया
कुछ रिश्ते मिलते समाज से
वे कभी सतही होते
कभी प्रगाढ़ भी होते
लोग वही भाग्यशाली होते
निरोगी काया पाते
इनके रिश्ते होते
अच्छी आदतों से
पर कुछ रिश्ते होते अनाम
जो रक्त दान से बनते
जिसको रक्त मिल पाता
अपने जीवन रक्षक को
दिल से दुआएं देता
जीवन भर अहसान मानता
रक्त दान से मिले रिश्ते को
सबसे ऊपर मानता |

आशा

09 जून, 2016

हाईकू


१-
सुख मन का
अब आए कहँ से
दुखी दुनिया |
२-
वीरान क्षेत्र
सुनसान सडकें
कुम्भ समाप्त |
३-
सर्पिलाकार
जीवन की डगर
चला जाए ना |
४-
यह जिन्दगी
सेज नहीं फूलों की
है काटों भरी |
५-
नया खिवैया
नौका मझधार में
पार लगे ना |
६-
उनका दुःख
अपना लगता है
हम साया हैं |


आशा





06 जून, 2016

तेवर




ना दिखा तेवर अपने
क्या हम ही मिले थे
सबसे पहले
तेरी नाराजगी
ज़रा सी बात पर
शराफ़त तक भूली
लाल पीली होने लगी
बिना बात की बात पर
यह कैसा व्यबहार तेरा
संयम अपना खो कर
सारी हदें पार कर
बातों को तूल देने लगती
हर वक्त की किचकिच
यह नाराजगी
घर को घर न रहने देती
मन संतप्त कर देती
हमें तो प्यारी लगती है
मुस्कान भरी चितवन तेरी
आगे से तेवर अपने
न दिखाना मुझ को
प्यार भरे दिल की सौगात
ही बहुत है मेरे लिए |
आशा

ये पांच दिन

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गिन गिन दिन चिंता बढी
कारण समझ न पाई
दो दिन पूर्व ही आने को थे
ना आए क्या बात हुई
कल भी पूरा दिन बीता
रात बिताई तारे गिन गिन
दो से चार चार से आठ
अनगिनत तारों का संगठन
गिनना लगा असंभव
किये नेत्र बंद पर
 निंद्रा से कोसों दूर
तुम ही तुम नजर आए
अचानक धन गरजे
 बिजली कड़की
आंधी चली वृष्टि हुई
अधिक बेचैन कर गई
फोन पर तुमने कहा
 फँस गया हूँ कार्य में
पांच दिन न आ सकूंगा
कुछ राहत मन को मिली
फिर भी हूँ परेशान कैसे कटें
ये पांच दिन तुम्हारे बिन |
आशा





आशा