14 सितंबर, 2019
अभिव्यक्ति
सोच विचार होते
अभिभावक अभिव्यक्ति के
शब्दों के संग खेलती बड़ी होती
वय होते ही परिपक्व हो
अधिक प्रखर हो जाती
शब्द चाहे हों जिस भाषा के
उनसे बंध कर पींगे बढाती
ऊंचाई जब तक छू न लेती
मन को चैन न लेने देती
सोच बहुत पीछे रह जाते
अभिव्यक्ति का साथ न दे पाते
थक कर विश्राम करना चाहते
वह कहती अभी लक्ष्य दूर है
उसे पा लेना मेरा जूनून है
क्या मेरा साथ यूँ ही छोड़ दोगे
आधा रास्ता पार कर लिया है
फिर अब क्यूँ न आगे जाएं
उसकी दृढ इच्छा शक्ति के आगे
मानी हार अभिभावकों ने
दिया हौसला पूरे मन से
अपनी अभिव्यक्ति को
भाषा को समृद्ध बनाने में |
आशा
10 सितंबर, 2019
याद करोगे मुझको
याद करोगे हमको
जब हम ज़माना
छोड़ जाएंगे
सारी बुराई भूल कर
जब भी सोचोगे
हर शब्द कानों में गूंजेगे
अपने गुम हुए अस्तित्व की
हरबार याद दिलाएंगे
मन के किसी कौने में
जब भी झांकोगे
हम ही हम नजर आएँगे
है यही रीत दुनिया की
जीते जी कद्र नहीं होती
जाने के बाद ही यादें
ताजी की जाती हैं
बड़ी बड़ी अच्छाई
याद की जाती हैं |
आशा
खामोशी
दूर तक फैला सन्नाटा
सड़क पर कोई नहीं आता नजर
यह है आतंक का प्रभाव
या मन में दहशत का प्रतिफल
सहमें हुए शब्द मौन हुए
बिखरे हैं मुंह में पर निशब्द
ओठों तक आ नहीं सकते
दहशतगर्दी इस हद तक पसरी
श्वास लेना भी हुआ दूभर
रीते नयन तलाश रहे
बिछुड़े हुए अपनों को
आसपास घरों में भी
है खामोशी का आलम
जहां रहती थी सदा
चहलपहल बचपन की
आम आदमी सहमा हुआ है
पर चाहत है अमन चैन की
खामोशी में घुटन होती है
आखिर कब तक इसे सहन करेगा
सामान्य जन जीवन होगा
आपस में भाई चारा पनपेगा
खून खराबा समाप्त होगा |
आशा
09 सितंबर, 2019
06 सितंबर, 2019
04 सितंबर, 2019
गणपति बप्पा
है स्वागत आगत गणनायक का
बहुत समय प्रतीक्षा करवाई
तब जाकर दिए दर्शन अबकी
सोचा समझा दुःख दर्द प्रजा का
फिर की तैयारी जाने की
अभी अभी तो आए थे
स्थापना की थी मंदिर में
इतनी जल्दी क्या है जाने की
स्थापना की थी मंदिर में
इतनी जल्दी क्या है जाने की
सारे दुःख समेत चल दिए
मन में व्यथा लिए सब की
जल में समाधिस्थ हो रहे
मन की शान्ति जल में खोज रहे
अनंत चौदस को है बिदाई
सुख करता दुःख हरता की
बहुत खालीपन लगेगा
आसन रिक्त देख तुम्हारा
फिर से प्रारम्भ होगा वाट जोहना
अगले बरस बप्पा के आगमन का |
आशा
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