05 जनवरी, 2020

हाईकू





१-सूरज छिपा
बादलों की गोद में
गर्मी ना आई

२-वाह मौसम
तेरे नखरे बड़े
सर्दी है आज

३-बहुत प्यारी
बर्फ चादर ढकी
है चारो और

४-न जाने कब
आए मौसम प्यारा
मन को भाए

५-घना कोहरा
है छटता जा रहा
सर्दी न गई |

आशा

04 जनवरी, 2020

अनोखे शिल्पी


हो तुम अनोखे शिल्पी
एक से एक मूर्तियाँ बनाते
प्राण प्रतिष्ठा उनमें करते
लगता है ऐसा जैसे हो  जीवंत
अभी हलचल में आएंगी
मन में उनके है क्या
मुखरित हो बयान करेंगी  
यूँ तो नयन और
 लव रहते मौन सदा  
हरपल ऐसा लगता है
सीपी सम्पुट खोलेगी
शब्दों का स्त्राव करेगी
भावनाओं में बह कर
अभी  बोल पड़ेगी
चंचल चितवन से मन को
मोहे लेगी ऐसा जैसे  
जन्नत की सैर करा देगी
हर रंग जो तुमने चुना है
सदाबहार लगता है
उससे  सजाए परिधान
बड़े सुहाने लगते हैं
दिल चाहता है बस
 एकटक निहारते ही रहें
मन में बसा लें उन्हें |
आशा

01 जनवरी, 2020

दुआ बद्दुआ



तुम्हारी हर  बद्दुआ
 मुझे दुआ सी लगे
क्यूँ कि हर  शब्द उसका
  तुम्हारे  लवों का स्पर्श पा
 बदलता  हैं  रूप अपना
अपनों  के दिल से  निकली बातें
 सभी  बद्दुआएं  नहीं होती  
अपना रंग दिखाती हैं 
अपनी सी  हो जाती हैं
 माँ  से मिली सभी  नसीहतें  
चाहे उस समय कटु लगें पर 
 हर  पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं
  अपनों के दिल से कभी
                     कटु वचन नहीं निकलते                 
उनमें कुछ भलाई
 कुछ शिक्षा निहित होती है
ज़रा  सोच कर देखो 
 यदि उन्हें मान दे पाओगे
हित तुम्हारा  ही होगा
कोई अपना ही  साथ निभाएगा
तुम्हारा अहित न चाहेगा
तुम्हारे सुख में सुखी होगा
दुःख के निदान की कोशिश करेगा |

आशा

31 दिसंबर, 2019

विराम



                     चाहे जितनी बाधाएं आए
सहज चलते जीवन की रवानी में
समय रुक न पाएगा
 काल चक्र चलता जाएगा |
काल है एक  बहती दरिया  
गति दौनों की होती समान   
पर काल की गति न होती स्थिर 
 वह जल सा बाधित नहीं किसी से |
समय ऊंची उड़ान भरता
 पंख फैला कर  पक्षी सा
किसी भी  बाधा से न डरता
अम्बर में है एक छत्र राज उसका |
 जितना भी उसे पकड़ना चाहे
 मुठ्ठी में रेत सा फिसलता
जीवन  दूर होता जाता
अकारण रूठ कर समय से |
समय के साथ यदि चलना चाहें 
 गत्यावरोधों का सामना करना होगा
यदि पार न कर पाए उन्हें
जीवन में विराम आ जाएगा |
आशा





30 दिसंबर, 2019

कौन करेगा स्वागत आनेवाले वर्ष का





धीरे धीरे कदम बढाए
आनेवाले कल की ओर
अब थोड़ा सा है फासला
बस एक दिन की दूरी है |
कल जब सुबह होगी
नवल सूर्य की किरणे
बादलों से झाकेंगी
करेंगी स्वागत आनेवाले कल का |
धरती भी नहीं  पीछे किसी से
हरे भरे खेत लहराएंगे
खुशी का इजहार करेंगे दिल से |
अम्बर का क्या कहना
सर्द बयार  ने घेरा है अब तक
वही  स्वागत करेगी अब तो
पक्षी तो ठण्ड से हुए बेजार |
जल से भरी झीलें  तालाब जमें 
सर्दी ने ऐसा जोहर दिखाया 
सर्दी सर्दी करते करते
बर्फ बारी का लुफ्त उठाते
नव  वर्ष का आनंद लेंगे |
इस साल सो कर  
नए साल में जागेंगे
नया साल इस बार  कुछ
बड़े बदलाव लेकर आएगा |
आशा तो यही है बड़े परिवर्तन से
देश में अमन चैन होगा
 उन्नति की ओर हो अग्रसर
आगे कदम बढ़ाएगा |
आशा