हुई क्यूँ देर मुझे?
इस ग्रंथि को सुलझाने में
किसे पूजूं किससे फरियाद करूं
है ईश्वर एक पर नाम अनेक |
मुझे बस इतना ही सोचना है
कौनसा नाम मुझे आकृष्ट करता है
उस पर अपनी सहमती जताना है
उस पर ही सारी श्रद्धा रखनी है |
उस पर ही सारी श्रद्धा रखनी है |
हर बार किसी नाम विशेष पर
ध्यान केन्द्रित करती हूँ
जब मन नहीं मानता
संतुष्टि नहीं होती किसे नित ध्याऊँ |
संतुष्टि नहीं होती किसे नित ध्याऊँ |
आराधना प्रभू की जीवन में
बहुत महत्व रखती है
कठिन से कठिन कार्य
मिनटों में दूर कर देती है |
सच्चे मन से मांगी गई मुराद
तभी पूर्ण हो पाती है
उसके प्रति समर्पण और आस्था
हो जब पूर्ण रूप से |
जब हो आराधना उसकी मन से
श्रद्धा हो प्रभु के उसी एक नाम में
सभी फलों की प्राप्ति हो जाती है
जीवन को सफल कर
जाती है|
आशा