हुई क्यूँ देर मुझे?
इस ग्रंथि को सुलझाने में
किसे पूजूं किससे फरियाद करूं
है ईश्वर एक पर नाम अनेक |
मुझे बस इतना ही सोचना है
कौनसा नाम मुझे आकृष्ट करता है
उस पर अपनी सहमती जताना है
उस पर ही सारी श्रद्धा रखनी है |
उस पर ही सारी श्रद्धा रखनी है |
हर बार किसी नाम विशेष पर
ध्यान केन्द्रित करती हूँ
जब मन नहीं मानता
संतुष्टि नहीं होती किसे नित ध्याऊँ |
संतुष्टि नहीं होती किसे नित ध्याऊँ |
आराधना प्रभू की जीवन में
बहुत महत्व रखती है
कठिन से कठिन कार्य
मिनटों में दूर कर देती है |
सच्चे मन से मांगी गई मुराद
तभी पूर्ण हो पाती है
उसके प्रति समर्पण और आस्था
हो जब पूर्ण रूप से |
जब हो आराधना उसकी मन से
श्रद्धा हो प्रभु के उसी एक नाम में
सभी फलों की प्राप्ति हो जाती है
जीवन को सफल कर
जाती है|
आशा
श्रद्धा और विश्वास का भाव जगाती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 14 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुप्रभात
हटाएंसूचना के लिए बहुत आभार रविन्द्र जी |
भक्ति भाव में डूबी बहुत सुन्दर प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
वाह !बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय दी .
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रार्थना,सादर नमन आशा जी
जवाब देंहटाएं