13 जुलाई, 2020

आराधना





हुई क्यूँ देर मुझे?
इस ग्रंथि को सुलझाने में 
किसे पूजूं किससे फरियाद करूं
है  ईश्वर एक  पर नाम अनेक |
मुझे बस इतना ही सोचना है
कौनसा नाम मुझे आकृष्ट करता है
उस पर अपनी सहमती जताना है 
 उस पर ही सारी श्रद्धा रखनी है |
हर बार किसी नाम विशेष पर
ध्यान केन्द्रित करती हूँ
जब मन नहीं मानता 
संतुष्टि नहीं होती  किसे नित ध्याऊँ |
आराधना प्रभू की जीवन में
बहुत महत्व रखती है
कठिन से कठिन कार्य
मिनटों में दूर कर देती है  |
सच्चे मन से मांगी गई मुराद  
 तभी पूर्ण हो पाती है
 उसके प्रति समर्पण और आस्था  
हो जब  पूर्ण रूप से |
जब हो आराधना उसकी मन से
श्रद्धा हो प्रभु के उसी  एक नाम में
सभी फलों की प्राप्ति हो जाती है
जीवन को   सफल कर जाती है|
आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. श्रद्धा और विश्वास का भाव जगाती सुन्दर रचना।

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    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 14 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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    1. सुप्रभात
      सूचना के लिए बहुत आभार रविन्द्र जी |

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  3. भक्ति भाव में डूबी बहुत सुन्दर प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !

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  4. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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  5. वाह !बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय दी .

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  6. जी नमस्ते ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  7. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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  8. बहुत ही सुंदर प्रार्थना,सादर नमन आशा जी

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