सागर विशाल सी गहराई तुम में
उसे पार न कर पाऊँ
कैसे उसमें डूबूं बाहर निकल न पाऊँ
गहराई की थाह न पाऊँ |
की कोशिश कितनी बार
तुम्हें समझने समझाने की
पर असफलता ही हाथ लगी
मन की हार हुई हर बार |
पर कोशिश ना छोड़ पाई
कमर कसी खुद को सक्षम बनाया
फिर से उसी समस्या में उलझी
सफलता पाने के लिए |
मुझे हारना अच्छा नहीं लगता
शायद मेरे शब्दकोश में
हार शब्द है ही नहीं तभी तो
अनवरत लगी रहती हूँ खुद को झुकाने में |
सफलता पाने के लिए क्या करूँ
जब तक सफलता ना पालूँ
मुझे चैन नहीं मिल पाएगा
जो दूरी तुमने बनाई है मुझे इसे मिटाना है |
तभी तो निदान हो पाएगा उलझन का
किसी एक को तो झुकना ही है
मै झुकी तो तुम्हारा अहम्
बना रहेगा वही तो तुम चाहते हो |
यदि यही समस्या का हल है तो यही सही
झुकने से विनम्रता ही आएगी
मुझ में कोई कमी नहीं होगी
मैं जहां हूँ वहीं रहूँगी |
आशा