09 जनवरी, 2021

आज मुझे यह कहने दो

 


आज मुझे यह कहने दो

कि मेरा सोच गलत नहीं था

नया परिवेश नया मकान

निभाना इतना सहज नहीं था 

फिर भी मैंने तालमेल  किया है

अब कोई समस्या  नहीं है ।

खाली घर और हम अकेले

करते तो  क्या करते

आने को हुए बाध्य

कैसे अकेले रह पाते वहाँ ।

 स्वास्थय ने भी किनारा किया

वह भी साथ न दे पाया

आखिर वक्त से सम्झौता किया

यहाँ आने का मन बनाया |

आशा

08 जनवरी, 2021

अनसुलझे प्रश्न

 कितने अनसुलझे प्रश्नों ने घर 

बना लिया है ह्रदय में 

अब तो स्थान ही नहीं बचा है 

अन्य प्रश्नों के लिए |

जब भी उत्तर खोजना चाहती हूँ 

खोजे नहीं मिलते 

बहुत बेचैनी होती है 

असफलता जब हाथ आती है |

पर फिर भी जुझारू रहती हूँ 

साहस से  दूर भागती नहीं 

कुछ तो सफलता मिल ही जाती है

आत्म शान्ति मिल जाती है || 

मन को सुख मिल जाता है 

फिर दो



                                                                दो गुने जोश से जुट जाती हूँ 

और प्रश्न हल करने में

सफलता का नशा

 मस्तिष्क पर छा जाता है  |

आशा 






02 जनवरी, 2021


     मुझे बहुत प्रसन्नता होरही है अपने  (बारहवा काव्य संकलन ) अपराजिता का कवर पेज आपसे सांझा कर के |


31 दिसंबर, 2020

सोचो क्या करना है ?

 


                                                             मन मेरे सोचो क्या करना है ?

आने वाले कल के लिए

कोई उत्साह नहीं है अब  

जीवन की शाम का

इंतज़ार कर रहे हैं |

हर लम्हा पुकार  रहा है

प्रभु का भजन करो

उसके सानिध्य में जाओ

उसका गुणगान करो |

समय व्यर्थ न गवाओ

भर पूर जिन्दगी जी ली  है

अब और की लालसा न रखो

यह न सोचो आगे क्या होगा |

हर वर्ष की तरह यह वर्ष भी

आया है बीत ही जाएगा

माया मोह से बचो

कुछ नेकी के काम करो |

आशा

 

29 दिसंबर, 2020

सर्दी (हाईकू )




१- सर्द हवाएं
चैन न लेने देतीं
बेचैनी होती
२-यही मिजाज
मौसम का आलम
सहा न जाए
३-अती ना भली
सर्दी हो या गर्मीं हो
कभी न फली
४-यह गरीबी
वस्त्र न तन ढकें
सर्दी के मारे
५-बर्फ ही बर्फ
चारो ओर बिखरी
सही न जाए 
६-सर्दी की मौज 
ठन्डे स्थानों  में मिले 
जा कर देखें

आशा



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    28 दिसंबर, 2020

    ओस की नन्हीं बूँदें


                                                                        ओस की  नन्हीं बूँदें  

    हरी दूब पर मचल रहीं  

    धूप से उन्हें  बचालो

    कह कर पैर पटक रहीं |

    देखती नभ  की ओर हो भयाक्रांत  

    फिर बहादुरी  का दिखावा कर

    कहतीं उन्हें भय नहीं किसी का  

    रश्मियाँ उनका  क्या कर लेंगी |

    दूसरे ही क्षण वाष्प बन

    अंतर्ध्यान होती दिखाई देतीं  

    वे छिप जातीं दुर्वा की गोद में

    मुंह चिढाती देखो हम  बच गए  |

    पर यह क्षणिक प्रसन्नता

    अधिक समय  टिक नहीं पाती

    आदित्य की रश्मियों के वार से

    उन्हें बचा नहीं पाती |

     

    आशा

     

     

    25 दिसंबर, 2020

    क्रिसमस पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं

    क्रिसमस के पावन अवसर पर आप सब को हार्दिक शुभ कामनाएं |
    नयासाल खड़ा दरवाजे पर
    साथ में ढेरों खुशियाँ लिए
    कटुता मन से रहे दूर
    रहें सदा स्नेह का गुलदस्ता लिए |
    आशा