पहले मुझे समुन्दर बहुत भाता था ,
बार बार अपनी ओर खींच ले जाता था ,
देख लहरों का विकराल रूप
मैं भूल गई वह छटा अनूप ,
जो कभी खींच ले जाती थी ,
समुन्दरी लहर मुझे बहुत सुहाती थी |
पर एक दिन सुनामी का कहर ,
ले गया कितनों का सुख छीन कर ,
और भर गया मन में अजीब सा डर ,
अब नहीं मचलता मन उसे देख कर |
आशा
23 नवंबर, 2009
21 नवंबर, 2009
दूरियाँ
16 नवंबर, 2009
अवनि
15 नवंबर, 2009
दीपक
13 नवंबर, 2009
दिया
कण कण रौशन किया दीये ने ,
घर का तम हर लिया दीये ने
अपना जलना भूल दीये ने,
किये न्यौछावर प्राण दीये ने |
आशा
घर का तम हर लिया दीये ने
अपना जलना भूल दीये ने,
किये न्यौछावर प्राण दीये ने |
आशा
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