आपस में मिलने की आस ले
नीलाम्बर में आते बादल
इधर उधर जाते बादल|
काले भूरे और श्वेत
तरह तरह के होते बादल
जब भी दृष्टि पड़ती उन पर
बहुत सुखद लगते बादल
मन भीग भीग जाता
देख कर सुनहरे बादल |
बादल होते रमता जोगी
स्थिर नहीं रह पाते
इधर उधर भटकते रहते
एक जगह ना रुक पाते |
स्थिर नहीं रह पाते
इधर उधर भटकते रहते
एक जगह ना रुक पाते |
लगते हेँ सन्देश वाहक से
जो दे सन्देश आगे बढते
जहां से भी चल देते
बापिस नहीं लौट पाते|
है एक बात और उनमें
कभी प्यासी धरती की
तो कभी प्यासे चातक की
प्यास बुझाना नहीं भूलते
प्यासे को पानी देते
हरी भरी धरती करते |
होते हैं जब भी क्रोधित
करते घोर गर्जन तर्जन
अंदर की आग दर्शाने को
लेते सहारा दामिनी का
विचारक दौनों रूपों को
देखता है सम दृष्टि से
सोचता है मनन करता है
उसे लगता मनुष्य जीवन भी
आते जाते बादल सा |
जीवन भी आगे बढ़ता है
पीछे लौट नहीं पाता
केवल यादे रह जाती हैं
वह दुनिया छोड़ चला जाता |
आशा
है एक बात और उनमें
कभी प्यासी धरती की
तो कभी प्यासे चातक की
प्यास बुझाना नहीं भूलते
प्यासे को पानी देते
हरी भरी धरती करते |
होते हैं जब भी क्रोधित
करते घोर गर्जन तर्जन
अंदर की आग दर्शाने को
लेते सहारा दामिनी का
विचारक दौनों रूपों को
देखता है सम दृष्टि से
सोचता है मनन करता है
उसे लगता मनुष्य जीवन भी
आते जाते बादल सा |
जीवन भी आगे बढ़ता है
पीछे लौट नहीं पाता
केवल यादे रह जाती हैं
वह दुनिया छोड़ चला जाता |
आशा