नव संवत्सर का प्रथम दिवस
घर घर सजे दरवाजे
साड़ी की गुड़ियों से
शुभ कामनाएं दे रहे परस्पर
प्यार से गले मिल कर
नौ दिन तक उपवास करते
महिमा गाते दुर्गा माँ की
जौ,तिल घी लौंग की आहुति दे
हवन करते
हवन करते
वायुमंडल की शुद्धि करते
पूरम पूरी ,गुजिया और
देते प्रसाद चने की दाल का
सौहाद्र का इजहार करते
कच्चे आम की कैरी का पना
लगता बड़ा स्वादिष्ट
आज भी है परम्परा इस दिन
सुबह नीम की कोपल खाने की
सुबह नीम की कोपल खाने की
हल्दी कुमकुम देने की
भर गोद आशीष लेने की |
नव वर्ष हो शुभ सभी को
कामना है यही
हर बरस से अच्छा हो्
सद ्भावना है यही |
वैसे तो यह परम्परा महाराष्ट्र की है पर यदि सब लोग इतनी खुशियाँ इसी प्रकार बांटे तो जितना आनंद मिलेगा शायद कम हो |
वैसे तो यह परम्परा महाराष्ट्र की है पर यदि सब लोग इतनी खुशियाँ इसी प्रकार बांटे तो जितना आनंद मिलेगा शायद कम हो |
आशा