20 अक्तूबर, 2014

अदभुद है

 मन की मुराद मिली है
 बड़ी बात है
प्यार की सौगात मिल गयी
अनोखा उपहार है
पर एक सवाल व्यर्थ सा
मन में आया है
ऐसा क्या था  जो तुम्हें
 मुझ तक ले आया
प्यार तो यह है नहीं
 बहुत सच है 
है कोई बंधन पहले का 
या मुझे कोई 
 कर्ज चुकाना है
कभी उधारी की  याद नहीं आता
फिर यह उलझन कैसी
एहसास अनोखा सा है 
लगता है 
अपनी  कहानी में
कोई नया मोड़  आया है
यूं तो है
 कहानी पुरानी 
वही राजा वही रानी
कभी मिलन 
कभी विछोह
कुछ भी तो नया नहीं
क्यूं आज फिर
 दूध में
 उबाल आया है
गोद में बेटी के कदम
धर में पालने का आगमन
पूर्व जन्म के  कर्ज का
अद्भुद एहसास हुआ है
जिसे पूर्ण  करने का
 मन बनाया है |


18 अक्तूबर, 2014

पागल प्रेमी


पागल  प्रेमी धूम रहा
अतृप्त प्यास अपनी लिए
धूल में मिलना चाहता
हार मान खुद की प्रिये |
नहीं जानता विधि कोई
अपने को व्यक्त करने की
अंतस में उफान है
उसी में लिप्त हुआ है |
पाकर खुद को  असहाय
 है विचलित विमोहित
कल्पनाएं भूल गया है
उसे खोजने में |
ऐसा सोचा न था 
प्रेम पंथ है  कांटो भरा  
सच्चाई है इतनी कुरूप 
अब वह जान गया है |
सारा तिलस्म   भंग हो गया
है उदास खुद में सिमटा
तभी पलायन का विचार
मन में आ गया है |
नत मस्तक बैठा सहलाता 
अपने चोटिल पैरों को 
अश्रु जल से धोना चाहता 
हृदय के हरे जख्मों को |
पागल मन तब भी अस्थिर है 
चैन नहीं लेने देता 
कष्ट जो सहे हैं 
हर बार कुरेद देता |



आशा  



14 अक्तूबर, 2014

भूचाल



सूखी स्याही कलम की
लिखावट तक स्पष्ट नहीं
धूमिल हुई
 आंसुओं की वर्षा से
समीप ऐसा  कोई नहीं   
जो हाथ बढाए उसे रोक पाए
दिमागी अंधड़ से बचा पाए
सब मेरे ही साथ क्यूं ?
क्या कोई और नहीं मिलता
ऐसे भूचालों को
ना स्वयं जीना चाहते
ना ही किसी को जीने देते
यदि कभी हंसी आजाए
खिलखिलाहट घर में गूंजे
बड़ा बबाल मच जाए
खुद अट्टाहस करते
दूसरे का चैन छीन
कितना सुकून मिलता होगा  
 केवल वही जानते
मेरे एहसास मेरे साथ
इस तरह चिपके हैं
पीछा नहीं छोड़ते 
खुश रहने नहीं देते
बेचैन किये रहते
काश मुक्ति मिल पाती
ऐसे भूचालों से
दिमाग कभी खाली हो पाता
व्यर्थ के एहसासों से |
आशा