13 अप्रैल, 2015

वास्तविकता



लोन कितना ले के लिए चित्र परिणाम
आधुनिकता की दौड़ में
पिछड़ने से डरते
दुनिया की चकाचौंध में
अपना वजूद खोजते |
दूसरों की होड़ में
उधारी में फंस जाते
असंतोष में जीते
वर्तमान भी बिगाड़ते |
एक धरा दूसरा आसमान
हो दौनों की क्या तुलना
तुम लोनची  वो लोन  फ्री
 सोच भिन्न दौनों का  |
तुमने पैर पसारे
अपनी चादर के बाहर
वो छोड़ नहीं पाया
 अपनी चादर की हद |
वर्तमान में  कठिनाई
भविष्य सुरक्षित रखतीं
खुश हाल जीवन होगा
यही सुनिश्चित करतीं |
जो केवल लोन  पर जीता
सदा  समस्याओं से घिरा
हंसना तक भूल जाता
जीवन को बोझ समझता |
लेनदेन की चिंता में
शरीर सुख भी जाता
चिंता चिता सामान
 सत्य नजर आता |

11 अप्रैल, 2015

जननी को कौन याद करता




 सागर में सीपी असंख्य
असंभव सब को एकत्र करना
फिर भी अपेक्षा रहती
मोती वाली सीपी की |
मोती तरह तरह के
छोटे बड़े सुडौल बेडौल
उन्हें तराशती नज़र पारखी
आभा तभी निखरती |
आव मोती की
 बनाती अनमोल उसे
और मूल्य बढ़ जाता
जब सजता  आकर्षक आभूषण में |
 मोती मुकुट के बीच दमकता
शीष हजारों नित झुकते
प्रभु के सजदे में
तब मान मोती भी पाता |
जब सजता प्यार के उपहार में
आव  द्विगुणित हो जाती
अनमोल नजर आती
 उंगली की अंगूठी में |
आकर्षण मोती का
दिन प्रति दिन बढ़ता 
जब मधुर चुम्बन मिलता
प्रेम को परिपक्व करता |
तब  सागर  की या सीपी की
किसी को याद न आती
मोती याद रहता
जननी को कौन याद करता |

09 अप्रैल, 2015

अरमां एक


अरमां एक रह गया शेष
मैं तेरी छबि निहारूं
तेरी स्तुति  नित करूं
सदा  तुझको ही ध्याऊँ |
श्यामल गात तेरा
भीगा तन मन उसी में 
रंगा श्याम रंग  में 
है कैसा अचरज |
तेरी छबि नयनों में बसी
जाने कितने रूपों में
उन को ही मन में ले
 रात्रि विश्राम को जाऊं |
प्राणपखेरू उड़ने को तत्पर
सुमिरन बिन उड़ न पाऊँ
माया से दूर करो मुझको
बंधन मुक्त हो पाऊँ |
आशा