पापों की अति हो गई
बाल बाल डूबे उनमें
फिर धोए पाप नदिया में
पाप तो कम न हुए
गंगा
मैली कर आये
जिसने समेटा उन्हें
अपने आचल में
अति तो तब हुई
जब पाप इतने बढे
आंचल में न समाए
और गंगा मैली हो गई
पतित पावन कहलाने वाली
सारी हदें पार कर गई
पर सब ने सुध बिसराई
जल शुद्धि की बातें
गूंजी सरकारी हलकों में
कुछ समाचारपत्रों में
सारे यत्न विफल रहे
उसे स्वच्छ करने के
यदि पापी संस्कारवान होते
अपने पाप वहां ना धोते
यह हाल उसका ना होता
स्वच्छ निर्मल धारा होती
पतित पावन बनी रहती |
आशा