01 दिसंबर, 2018

समस्या का निदान






आओ पंख फैला कर उडें
भगवत भजन करें


है आज का पावन पर्व

 पूजा की थाली सजाएं

जल का लोटा भर लाएं

मिष्ठान प्रसाद मन भर लाएं

 प्रेम से दान धर्म कर पाएंगे

जब अटूट श्रद्धा होगी

तभी मनोरथ पूर्ण होगा

 इसी लिए कहती हूँ

 कोई कमियाँ न रह जाएं

  जितनी कमीं रह जाएगी

उतना ही फल कम मिलेगा

जीवन भर पछताएंगे

मसला हल न होगा |
आशा

29 नवंबर, 2018

आवाज









आवाज मीठी मधुर
कानों में रस घोलती
अपनी ओर आकृष्ट करती
आवाज प्रातः काल परिंदों की
  स्वतः मन को रिझाती
कोयल की मधुर ध्वनि
कर्णप्रिय लगती
 अपनी ओर आकृष्ट करती
कागा बैठ मुडेर पर देता सन्देश
अतिथि आगमन का
गृह कार्य में स्फूर्ति आ जाती
 रात में जब विचरण
 की इच्छा होती
जंगल बहुत प्रिय लगता
जलप्रपात का  कलकल निनाद 
 बहते जल की आवाज
अपनी ओर खीचती
 उसके किनारे बैठना 
जल के बहाव के संग 
विचारों को पंख देना
बहुत रंगीन मंजर  होता
हवा का बहाव उसमें
 चार चाँद लगाता
जब चांदनी रात होती
यूँ तो अपार शान्ति रहती
पर रात्रिचर यदाकदा 
स्वर छेड़ते रहते रह रह कर
फिर भी अपूर्व आलम रहता
वहां के आनंद  का
यहाँ शान्ति मन में बसती
जीवन की उलझनों से
 दूर बहुत दूर ले जाती
आवाज की मधुरता  ही
  उसकी ही है  जान
मानो या न मानो
प्रकृति के सान्निध्य में
जो सुकून मिलता है
 कहीं नहीं मिल पात़ा |
आशा

28 नवंबर, 2018

क्या होगा ?























क्या होगा जब न होगा 
यह नूर  चहरे का
आव मोती की हो
 या नमक चेहरे का  
जब तक रहेगा
अनमोल रहेगा
सोम्यता सहजता iकी झलक
 है अनूठी रौनक
आव वेश कीमती
 इसके बिना क्या होगा ?
नूरानी मुख मंडल का
महत्व्  है अपना
गर्व सदा होता उस पर
जब दर्प से चमकता  
यह ही कमाया है उसने
इतना आसन नहीं
 सहेजना उसको
जो जैसा दीखता है
वही हो तब समय भी
ठहरना चाहता है
उन्नत ललाट हो जाता है
जन्म देने वालों का
आव बिना सब फीका
आव बिना क्या होगा ?
आशा

25 नवंबर, 2018

हाईकू

भोर का गीत
मीठा मधुर गीत
है यही रीत

प्रातः बेला में 
कोकिला का संगीत 
मधुर होता

सांझ सबेरे 
रौशनी की झलक 
नव अंदाज 

कर्ज की मार 
मंहगाई का वार 
टूटी कमर |

24 नवंबर, 2018

क्या खूब जोड़ी है



कद्दावर हो सक्षम हो 
भार वहन कर सकते हो 
बताओ हर्ज ही क्या है 
अब साथ चलने में |
मैंने भी कुछ कम
यत्न नहीं किये हैं 
खुद को सरल बनाने में 
तुम्हारे अनुकूल करने में 
बहुत हद तक सफल भी हुई हूँ 
तुमको रिझाने में 
खुद ही सोचो विचारों 
क्या लायक नहीं हूँ तुम्हारे लिए
बताओ हर्ज ही क्या है 
अब साथ चलने में |
साथ जब चलोगे लोग कहेंगे 
बहुत खूब जोड़ी है |
आशा

23 नवंबर, 2018

आन






जब बात आन बान  की  हो
किसी से कम नहीं हैं हम
जब बात झूठी शान की हो
 दूर रहते  सारे झमेलों से हम 
है नाज हमें अपने  विचारों  पर
यदि कोई पैमाना हो नाप का
जो चाहे नाप ले 
खरे हैं खरे थे खरे रहेंगे हम
 किसी से कम नहीं हैं हम
आन बान   जन्म जात कमाई है
किसी से उधार नहीं ली है
इसी लिए सर नहीं झुकाते हम 
घमंडी नहीं है हम
जब आन पर आते हैं
 अटल हो जाते हैं  हम |
आशा