–मंहगाई का युग है
तेजी से उछल आया है
हर वस्तु की कीमत में
पर मनुष्य सस्ता हुआ
महनत की मजदूरी भी
है नहीं उसके नसीब में
चूंकी तू खरा कहता है
कीमतें बढ़ गईं
तेरे अशहारों की
लोगों का वश नहीं चलता
कोई कमी नहीं रखते
तुझे नीचा दिखाने में
सच्चाई के साथ चल कर
तूने उच्च पद पाया है
किसी से खेरात नहीं ली है
अपने आप को दाव पर लगाया है
पंखफैला कर उड़ना ही है जिन्दगी
पंखफैला कर उड़ना ही है जिन्दगी
तभी
कहने में आता है
कीमत बढ़ गई तेरे अशहारों की |
आशा