25 दिसंबर, 2018

सन्देश



तुम जाना उस देश
पहुंचाना उसका  सन्देश
वे तो भूल गए
ना ही   पत्र लिखा
 ना दिया कोई सन्देश
  पलक पावड़े बिछाए रही
विरहन मन को बहलाए रही
पर कब तक खुद को भुलावे में रखती
मन में खुद को तोल रही
क्या खता उसकी रही
जो बाँध न सकी उनको
अपने  प्रेमपाश  में
 कहाँ कमी रह गई उस बंधन में
मन में रहा बोझ
है यह कैसी विडंबना  
कोई नहीं समझ  पाया
शायद है यही नीयती का फैसला  
इससे कोई न बच पाया
यहीं सभी  झुक जाते हैं
समदर्शी  की सत्ता के आगे
अपने कर्मों का हिसाब
इसी लोक में हो जाता है
कहीं और नहीं जाना पड़ता |
 आशा

23 दिसंबर, 2018

बड़ा दिन


हूँ बहुत व्यस्त  आज
सभी जुटे स्वच्छता अभियान में
आने वाले कल के इन्तजार में
पर मैं न साफ कर पाई
अपनी टेवल अपना कमरा
चारों ओर बिखारा हुआ सामान
 न समेट पाई अभी तक
कारण कुछ तो रहा होगा
मैं रही व्यस्त
 मनपसंद मिठाइयां बनाने में
न बता पाई कभी किसी को
सजाया जा रहा क्रिसमस ट्री को
उपहार भाँती भाँती के देने को
लपेटे गए हैं रंग बिरंगे कागजों में 
स्थान दिया है उनको उस पर
 रंग भरी सुगन्धित
  मोमबत्तियों के बीच   
बच्चों का उत्साह देख
यादों का अम्बार  लगा है
अब अधिक समय नहीं शेष
  सांता  के आने में
बड़ा दिन मनाने में
उपहारों के आदान प्रदान में
यही मेलमिलाप है आवश्यक
और छिपा हुआ उद्देश्य
 यह त्यौहार मनाने में |
                                               
                                              

                                                आशा

22 दिसंबर, 2018

ख़त




ख़त तुम्हारे लिए न होंगे
ख़त तुम्हारे करीब न होंगे 
जब तक हम तुम्हारे न होंगे  
 दौनों जब  हमकदम न होंगे
दूरियां बढ़ती जाएंगी
नजर तक पड़ेगी न उन पर
लिफाफे में जैसे आये थे
वैसे ही रहेंगे खुल न पाएंगे
कभी वे  ख़त पुराने न होंगे 
मन कभी न होगा
 उन् को  हाथ लगाने का 
उनमें अपनेपन की गंध  न होगी 
जब तक हम  दौनों  हम दम न होंगे 
मन में मन की बातें रह जाएंगी 
भाव उजागर न हो पाएंगे|

आशा
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बधाइयां















छोटी बड़ी बातों पर
देना  बधाइयां
हो गई एक प्रथा
आज कल
बधाइ चारो ओर से
लिपट जातीं उनसे
सिमट जाता उनमें ही
सारा प्यार दुलार
है आवश्यक कितना
बधाइयों का तांता
तोहफों का आदान प्रदान
तुम क्या जानो ?
आशा धन दौलत की नहीं
ऊर्जा  प्यार भरे दिल की
जो उत्पन्न  होती
प्रमुख आवश्यकता होती 
एक छोटा सा फूल
 ही काफी होता 
मनोभाव  व्यक्त करने को
दौनों के  लिए
सच तो यह है कि
 देने को बधाई
 कोई तो बहाना चाहिए 
नजदीकियां दिखाने को 
यह नहीं रस्म अदाई 
है जरुरत आज की 
पहले भी थी
 कल भी रहेगी |
आशा

21 दिसंबर, 2018

हाईकू


प्यास न बुझी
खड़ीनिहार रही
खारे जल को
अपार जल 
सागर लबालब
फिर भी खारा
सुकून नहीं
सुबह दोपहर 
एक ही राग
भारी मन से
किया गिला शिकवा
बैर न मिटा
मन में छिपी
यादों की बारातें हैं
हैं सर्द रातें

 मौसम ठंडा 
एक प्याली चाय की 
मन में ऊर्जा

 अकेला नहीं
सर्दी बढाता जाता
 बेग वायु का

सर्द हवा का 
होता जब प्रकोप
पत्ता कांपता


आज ये हाल 
संवेदना है आहात
स्वतंत्र नहीं

जलती ज्वाला
दे रही है बिदाई
बीते कल को

आशा
आशा

19 दिसंबर, 2018

मुस्कान

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  मुस्कान बहुत मंहगी पड़ती
जब दिल से  दुआ न  निकलती
ना शब्दों का आदान प्रदान
केवल अधरों पर मुस्कान |
वह भी केवल दिखावे की
जैसी दिखाई देती वैसी है नहीं
मन से निकली आवाज नहीं
ना ही आत्मीयता  का प्रभाव |
 अधरों में सहमी सिमटी 
 रहती एक  कैदी सी
 पहरा रहता आठों प्रहर
 कितनी लगती  लाचार बेबस |
सब की दृष्टि अलग होती
भोले बचपन की मुस्कान
है कितनी निश्छल निरापद  
मन मोहक छवि बालक की
मन झांकता उसमें से |
 व्यंगबाण पर आती मुस्कान  
मन का कपट झलकाती
किसी की गलतफहमी पर
या किसी की नादानी पर
तभी बहुत मंहगी पड़ती |
यह न जान पाता  कोई
मुस्कान तो मुस्कान है
अपने अंतर की हलचल का
सत्य ही बयान करती |
आशा