है नजर अपनी अपनी
जैसा सोचते है वही दिखाई देता है
जो देखना चाहते हैं अपने नजरिये
से
करते
हैं टिप्पणी अपने ही अंदाज में
कभी सोच कर देखना
एक ही इवारत पर
अलग अलग टिप्पणीं होती हैं कैसे ?
यही तो फर्क है लोगों के नजरिये में
कारण जो भी रहता हो
पर है सत्य यही
जिसे दस बार देख कर
कोई
पसंद नहीं आता
एक ही नजर में वही
अपना सुख चैन गंवा देता है
कुछ लोग ऐसे होते हैं
जो
होते निश्प्रह
ठोस धरातल पर रहते हैं
उन पर अधिक प्रभाव
नहीं
जो भी जैसा सोचता
वही
उसे नजर आता
यह तो है प्रभाव अपनी सोच का
आज के सन्दर्भ में बदले सोच का
अक्स स्पष्ट नजर आता है
कहीं कोई चित्र न बदलता
पर
बदलाव नजर आता है
एक ही लड़की किसी को
दिखाई देती जन्नत की हूर
किसी और को वही बेनूर नजर आती
है अलग
अंदाज अपनी सोच का
नजर नजर का फेर है
कोई कह नहीं सकता
किसका है कैसा नजरिया
कोई सोच नहीं पाता
है
क्या पैमाना नजर की खोज का |
आशा