हे अभिनन्दन वीर तुम्हारा स्वागत
ओज टपकता मुख मंडल पर
दिल से देते आशीष तुम्हें
हम ‘अभिनन्दन ‘
हम ‘अभिनन्दन ‘
करते हैं तुम्हारा स्वागत
शीश झुकाते
शीश झुकाते
वंदन करते भारत मां के
वीर सपूत ‘अभिनन्दन ‘ का
हर भारत वासी का जज्बा
काश तुम्हारे जैसा होता
गर्व से देश का सर उन्नत कर देता
धन्य है वह जननी
जिसने पाया तुम जैसा लाल
रोम रोम हुआ गौरान्वित माँ का
ऐसा बेटा अभिनन्दन आया
नमन करते नहीं
थकते ' हे अभिनन्दन ‘
तुम्हारी देश की सुरक्षा के प्रति
कर्ताव्य परायणता के बोध को देख
पलक तक न झपकाई
तुम्हारी एक झपक पाने को
बाघा बोर्डर पर टिकी रहीं नजरें
वीर सपूत के आने तक |
आशा