01 जनवरी, 2020

दुआ बद्दुआ



तुम्हारी हर  बद्दुआ
 मुझे दुआ सी लगे
क्यूँ कि हर  शब्द उसका
  तुम्हारे  लवों का स्पर्श पा
 बदलता  हैं  रूप अपना
अपनों  के दिल से  निकली बातें
 सभी  बद्दुआएं  नहीं होती  
अपना रंग दिखाती हैं 
अपनी सी  हो जाती हैं
 माँ  से मिली सभी  नसीहतें  
चाहे उस समय कटु लगें पर 
 हर  पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं
  अपनों के दिल से कभी
                     कटु वचन नहीं निकलते                 
उनमें कुछ भलाई
 कुछ शिक्षा निहित होती है
ज़रा  सोच कर देखो 
 यदि उन्हें मान दे पाओगे
हित तुम्हारा  ही होगा
कोई अपना ही  साथ निभाएगा
तुम्हारा अहित न चाहेगा
तुम्हारे सुख में सुखी होगा
दुःख के निदान की कोशिश करेगा |

आशा

31 दिसंबर, 2019

विराम



                     चाहे जितनी बाधाएं आए
सहज चलते जीवन की रवानी में
समय रुक न पाएगा
 काल चक्र चलता जाएगा |
काल है एक  बहती दरिया  
गति दौनों की होती समान   
पर काल की गति न होती स्थिर 
 वह जल सा बाधित नहीं किसी से |
समय ऊंची उड़ान भरता
 पंख फैला कर  पक्षी सा
किसी भी  बाधा से न डरता
अम्बर में है एक छत्र राज उसका |
 जितना भी उसे पकड़ना चाहे
 मुठ्ठी में रेत सा फिसलता
जीवन  दूर होता जाता
अकारण रूठ कर समय से |
समय के साथ यदि चलना चाहें 
 गत्यावरोधों का सामना करना होगा
यदि पार न कर पाए उन्हें
जीवन में विराम आ जाएगा |
आशा





30 दिसंबर, 2019

कौन करेगा स्वागत आनेवाले वर्ष का





धीरे धीरे कदम बढाए
आनेवाले कल की ओर
अब थोड़ा सा है फासला
बस एक दिन की दूरी है |
कल जब सुबह होगी
नवल सूर्य की किरणे
बादलों से झाकेंगी
करेंगी स्वागत आनेवाले कल का |
धरती भी नहीं  पीछे किसी से
हरे भरे खेत लहराएंगे
खुशी का इजहार करेंगे दिल से |
अम्बर का क्या कहना
सर्द बयार  ने घेरा है अब तक
वही  स्वागत करेगी अब तो
पक्षी तो ठण्ड से हुए बेजार |
जल से भरी झीलें  तालाब जमें 
सर्दी ने ऐसा जोहर दिखाया 
सर्दी सर्दी करते करते
बर्फ बारी का लुफ्त उठाते
नव  वर्ष का आनंद लेंगे |
इस साल सो कर  
नए साल में जागेंगे
नया साल इस बार  कुछ
बड़े बदलाव लेकर आएगा |
आशा तो यही है बड़े परिवर्तन से
देश में अमन चैन होगा
 उन्नति की ओर हो अग्रसर
आगे कदम बढ़ाएगा |
आशा     

28 दिसंबर, 2019

नव वर्ष

नववर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं -
पलक झपकते ही समय बीता
पूरा साल कहाँ खो गया
मालूम न पड़ा
पर एक बात हुई अवश्य
घटना क्रम इतना तेजी से घटा
तन  मन सिहर उठा सर से पाँव तक
पहले अति वृष्टि बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाएं
 हिंसा और आगजानी ने पार की सीमा
थमीं वे  बहुत कठिनाई से
अब जा कर समस्याओं में गति अवरोध
प्रारम्भ हुआ है फिर भी
 पूर्ण शान्ति न आ पाई
अब मौसम कहर ढा रहा है
 सर्दी ने अति की है
सूर्य देवता जा छिपे कोहरे की चादर  में
 दर्शन दुर्लभ हुए हैं
सर्द मौसम  ने त्राहि त्राही मचाई
जन जीवन हुआ अस्तव्यस्त
 नववर्ष तुम्हारे स्वागत के लिए
 उत्साह फिर भी कम नहीं हुआ है
धीरे से  उत्साह जगा जीवन में
आने वाले कल के स्वागत में
कई गीतों की की है तैयारी
आयोजन बड़े जश्न का करने को मन है
उसी में जुटे हुए हैं
 जब होगा स्वागत तुम्हारा  धूमधाम से
  खुशहाली लिए होगा  आगमन तुम्हारा
सुख शान्ति बरसेगी चहु ओर
नया साल नई उपलब्धियां ले कर आए
 भाई चारे के साथ नया दिन मनाएं
 है यही कामना प्रभू से | 
आशा