बीते कल की बात है
कुछ लोग एकत्र हुए
उस खेल परिसर में
पहले बातें सामान्य
रहीं
फिर तंज कसे गए
एक दूसरे पर आक्षेप
लगाए
वार पर पलटवार होने
लगे
लोगों में टूटा
संयम का बाँध
भांजी
लाठियाँ लांघी सारी सीमाएं
ना बड़ों का सम्मान रहा
ना
छोटों की फिक्र किसी को
ताल ठोक रणभेरी बजा
किया युद्ध का एलान
परिसर परिवर्तित हुआ रणक्षेत्र में
पहले पत्थरबाजी
आगजनी
फिर हाथापाई आपस में
देशी कट्टों से भी
कोई परहेज नहीं
खून खराबा तोड़ फोड़ से
हुए जब त्रस्त कुरूक्षेत्र में
मारपीट हुई सामान्य सी बात
जब सारी सीमा पार हो गई
कुछ लोग मध्यस्तता
करने पहुंचे
जब बीच बचाव से काम
न चला
अश्रु गेस के गोले दागे
भीड़ तंत्र ने सर
उठाया
बल प्रयोग अंतिम
स्रोत बना
उसे नियंत्रित करने का
शान्ति तो स्थापित
हुई
पर बहुत समय के बाद
किसी ने न सोचा
नुक्सान
हुआ किस का
हाथ कुछ आया नहीं
ना ही कोई लाभ हुआ
बरबादी का आलम पसरा
जाने कितनों की
जान गई
जान माल की हुई
तवाही
रण से हुई क्षति भारी |
आशा