विचारों तक उसे पहुंचाई
अपने मन का सारा हाल
हुआ बेहाल किसी के समक्ष
अपने मन को खोल कर रखने में |
चाह रहा था कोई देखे उसे
पढ़े उसका मनन करे
फिर अपनी तरफ से
फैसले पर मोहर लगाए
खुद के विचार प्रस्तुत करे |
तभी तो निष्पक्ष निर्णय हो पाएगा
बिना लाग लपेट के फेसला हो पाएगा
वही निर्णय होगा मान्य मुझे
जिसमें किसी की बैसाखी न होगी साथ |
किसी की सलाह की गंध नही आएगी
अपने मन में क्या निर्णय किया
यह भी स्पष्ट हो जाएगा
तुम्हारे मन में क्या विष घुला है
यह किसकी शरारत है |
आशा