29 मार्च, 2023

मुझे तुमसे कुछ ना चाहिए

                                                                      मुझे  तुमसे कुछ ना चाहिए 

                                                                     तुम्हारे प्यार के सिवाय 

जीवन बहुत सीधा साधा 

जीवन की रंगीनिया नहीं |

सीधा साधा है यह तो |

मुझे सादगी से लगाव है 

सरलता ने  मन ने मोह लिया है 

सच्चाई,सरलता ,सादगी 

और आकर्षण का 

 तुमने अनुसरण किया है |

 यही गुण ने तुम्हें बनाया विशिष्ट 

                                                         और  सादगी जीवन में तुम्हारे 

मन मोह कर ले चली

मुझे हो गया प्यार तुमसे |

कितनी भी दूरी हो तुमसे 

मैं भूल नहीं सकता तुम को 

जान चुका  हूँ अब मैं

बिना मिले  तुमसे रह नहीं सकता |

आशा सक्सेना

सामान्य सी लड़की

 


मेरी सामान्य सी जिन्दगी

जब देखी पास  से

दिखी बिखरी हुई दूर से

मन पास जाने का ना हुआ |

पहुँचते गए फिर भी वहीं

किसी ने रोका नहीं

नही यह पूछा 

यहाँ किस लिये आए किससे मिलने  |

पर जबाब ना था पास मेरे

उसने मुंह नीचा किया ना दिया उत्तर 

देखी सामान्य सी लड़की पर मनोबल था ग़जब का 

बैठी चटाई पर कुछ काम कर रही थी |

उसने पूछा किससे  मिलना है

यहाँ आए कैसे क्यों  किस लिए

पहले झिझक हुई जवाब देने मैं

फिर कुछ सोचा और कहा तुमसे |

है मेरे पास क्या  हूँ सामान्य सी लड़की

मैंने बाहरी दुनिया तक न देखी

तुम्हें कहाँ ले जाती किस से मिलवाती 

यह छोटा सा घर है, यही दुनिया है मेरी |

दीन दुनियाँ से है मोह नहीं  

है मेरा जीवन जंजीर से बंधा

बन्धक नहीं  हूँ यहाँ पर , अपनी मन मर्ज़ी की करती हूँ 

मैं तुम्हारी नहीं हूँ, सामान्य जीवन जी रही  हूँ |

हाँ जीवन में बड़ी भूल की है मैंने

 किसी का कहना नहीं माना है  ,

अपना दिल तुम्हें दिया है यहीं रहने के लिए

  तुम्हारे इशारे पर चलने के लिए |

तुम  सोचों मैं कहाँ रहूँ,किसके पास रहूँ

तुम्हारे पास भी मेरे लिए कोई जगह नहीं

मेरा भी हक़ है  तुम्हारे साथ रहने के लिए 

सामान्य जिन्दगी जीने का हक़ है मुझे भी |

तुम किस लिए दखल देते हो ,मेरी जिन्दगी मैं

हूँ सामान्य सी लड़की अपने अधिकारों का ज्ञान है मुझे

मेरे  अधिकारों को छीन न पाओगे चाहे जितना पछताओगे 

चाहे कितनी भी कोशिश कर लो मेरा वजूद मिटा न पाओगे|आशा सक्सेना 

27 मार्च, 2023

हाइकू (हाइकू)

 

 

१-तोड़ा है दिल

मस्तिष्क पर जोर

यह क्या है

२-कभी सोचा है

कौन तुम्हारा हुआ

जान ना  पाए

३- हम अकेले

किससे कहें व्यथा

सोचते रहे

४-चंचल मन

विचलित हुआ है

स्थिर ना रहा 

५-फितरत है

स्थाईत्व नहीं रहा

कहाँ जाना है

६-कैसी जिन्दगी

तिमिर  चारों ओर 

कैसे हुआ  है  

आशा सक्सेना 


26 मार्च, 2023

कान्हां तुम्हारी बांसुरी

 

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                                                                कान्हां तुमारी  बांसुरी से 

बहुत  ईर्षा होती है मुझे

रहती है  तुम्हारे पास सदा 

कभी अलग नहीं होती  |

तुम्हारे अधरों  को स्पर्श कर

वह जो सुख लेती है 

 मुझे नहीं मिलता

 मुझे सौतन सी लगती है |

 एक बात पूंछूं तुमसे 

उसने अधिकार जमाया तुम पर कैसे  

 कौन अधिक प्रिय है तुम्हें

मैं या बांसुरी या और कोई |

अपने मन की बात क्यों छिपाई   मुझसे

है यह कहाँ का न्याय

मुझ में क्या कमी है  

जो तुमने बिसराया मुझे |

तुम्हें वे सब अच्छे लगते हैं

जो मुझे तुमसे दूर करते हैं

जब जंगल में धैनूं चराते

ग्वाल बाल के संग

मेरी याद कभी ना करते

 क्या मैं उन सब से बुरी हूँ

मैंने कभी ना की शिकायत

 तुम्हारी माँ यशोदा से

शायद यही भूल की मैंने

 कोई बात ना बताई उनको  

यदि मुझसे दूर रहोगे

 मेरे मन को संतप्त करोगे

मेरे बिन तुम अधूरे रह जाओगे

पहले मेरा ही नाम लिया जाता है

मुंह से निकलता है राधे  श्याम |

मुझे क्रोध ना दिलाओ

अपने से दूर ना करो 

यही कामना है मेरी    

 

25 मार्च, 2023

सुख दुःख की दूरी समझी


 





किसी से क्या चाहिए जब

अपनों ने  ही साथ ना  दिया 

कभी दो शब्द स्नेह  के

सुनने को तरसते  हम  भी  |

हम  घर से दूर रहे

किसी से ना की अपेक्षा कोई

अपने में सक्षम रहे आज तक 

किसी पर बोझ  नहीं रहे |

जीवन भरा कठिनाइयों से

सुख के पल देखे ना देखे  

डेरा डाला दुःख ने जीवन में 

सुख दुःख की दूरी देखी |

  बात समझ में आई

सुख के सब साथी होते 

दुख में  कोई  साथ नहीं  देता 

तब साहस का ही सहारा होता  | 

कठिनाइयों से  भागने  से  लाभ क्या  

जब अकेले ही रहना है 

जब तक रहा साथ तुम्हारा जीवन में विविध रंग रहे

कभी किसी अभाव का हुआ ना एहसास |

कब सांस बंद हो जाएगी  मालूम नहीं 

सांस रुकने के पहले शेष काम करना हैं

 कोई कार्य अधूरा ना रहे यही सोचना है |

अपने तरीके से  जीवन जिया है अब तक

बंधन नहीं चाहिए कोई

 और यही है प्रार्थना प्रभू से 

उनकी कृपा रहे सब  पर 

आशा सक्सेना   |

24 मार्च, 2023

साथी कैसा हो





                                                                         साथी  ऐसा हो 

जिसे भले बुरे का हो ज्ञान 

समझाने का तरीका 

हो सरल प्रेम भरा |

जो मुझे समझे अपना 

दुनिया है मतलब की 

सब भूल जाते मतलब निकलते ही 

उनकी आवश्यकता नहीं मुझको |

व्यर्थ की बातों  में रूचि ना  हो जिसकी  

जिस पर हो पूरा विश्वास मुझे 

 मन की हर बात उसे बता पाऊँ 

इधर उधर की बातों से

 ना हो मन  विचलित उसका  

विचलित मन हो तब क्या करें   

समय यूँ ही व्यर्थ हो जाता है 

अपने हाथ कुछ भी नहीं आता 

   समय हाथ से फिसल जाता |

ऐसे  में मन उलझ जाए तो  वह  चेताए 

 ऐसे  जीवन का होगा क्या उपयोग 

जीवन का  रंग बे रंग हो जाएगा 

पृथ्वी  पर  भार बढ़ेगा |

आशा सक्सेना 

23 मार्च, 2023

करवटें बदलती जिन्दगी


जिन्दगी करवटें लेते गुजरी

कोइ काम किया ना किया

कुछ भी रचनात्मक न हो सका

खुशहाल जीवन जिया या ना जिया हमने  |

किसी भी आकर्षण ने बरबाद ना  किया  

मनमानी की आदत ने समाज से भी दूर किया

खेरियत यही रही सीधी राह पर चले  

यहाँ तक आते आते राह नहीं भटके |

बचपन में जो देखा सुना था

 वही  प्रभाव रहा मन में  बस एक बात अच्छी रही

 और किसी का प्रभाव नहीं पड़ा मन में

अपना वजूद ना खोया हमने |

हम तो हम थे अंधभक्त  नहीं 

जहां थे वहीं रहे आगे बढ़ने की चाह में

 कुछ नया नहीं सीखा सद्गुणों के सिवाय  

कुप्रभाव से दूर रहे यही क्या कम है |

किसी के गलत  प्रभाव में नहीं आए

कितनी बार मन में आया

अकेले जीवन गुजरेगा कैसे

किसी को समय नहीं हमारे लिए |

पुस्तकों से अच्छा मित्र कोई नहीं

उनके साथ समय कहाँ कट जाता है पता नहीं चलता 

घंटों व्यस्त रहती हूँ पढने लिखने में 

थकते ही कल्पना जगत में खो जाती हूँ |

आशा सक्सेना