तुम मौन हो ,
निगाहें झुकी हैं
थरथराते अधर
कुछ कहना चाहते हैं |
प्रयत्न इतना किस लिए
मैं गैर तो नहीं
सुख दुःख का साथी हूँ
हम सफर हूँ |
दो मीठे बोल यदि ना बोले
सीपी से सम्पुट ना खोले
तब तो ये अमूल्य पल
यूं ही बीत जाएंगे |
मैं समझ नहीं पाता
मौन की भाषा
कुछ सोच रहा हूँ
चूडियों की खनक सुन |
है शायद यह अंदाज
प्यार जताने का
फिर भी दुविधा में हूँ
है मौन का अर्थ क्या |
आशा
खूब कहा , अभिव्यक्तिओं का गहन चित्रण बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ..सुंदर रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों में भावों को अभिव्यक्त किया..आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंमौन का अर्थ सहमति ही होता है!
इस मौन का अर्थ समझने में सदियाँ बीत जाती हैं और पुरुष उसे समझ नहीं पाता और अर्थ के अनर्थ हो जाते हैं ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंदीदी आप की कविताओं में सहजता की प्रधानता होते हुए भी गहरी संवेदनाएँ अक्सर पढ़ने में आ रही हैं|
जवाब देंहटाएंअपनी कविताओं को पढ़वाने का यह क्रम जारी रखिएगा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
.........गहन चित्रण बधाई
lovely poem....
जवाब देंहटाएंवाह....बहुत प्यारी सी है ये मौन की भाषा
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंmaun ki bhasha samajh aane lagi hai. :)
जवाब देंहटाएंआदरणीया आशा जी हार्दिक अभिवादन सुन्दर रचना मौन बहुत कुछ कह जाता है मौन रह के भी ...निम्न पंक्ति गजब की
जवाब देंहटाएंहम सफर हूँ |
दो मीठे बोल यदि ना बोले
सीपी से सम्पुट ना खोले
तब तो ये अमूल्य पल
यूं ही बीत जाएंगे
धन्यवाद -शुभ कामनाएं
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
मौन भी कभी- कभी बहुत खुच कह जाता है... बहुत ही सार्थक अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंbahut pyari prastuti.
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar Rachna.....
जवाब देंहटाएंवाह ..सुंदर रचना .
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जवाब देंहटाएंAcchihealth