जब से सुना उसके बारे में
कई कल्पनाएँ जाग्रत हुईं
जैसे ही देखा उसे
लगी आकर्षक प्रतिमा सी |
था चंद्र सा लावण्य मुख पर
थी सजी सजाई गुडिया सी
आँखें थीं चंचल हिरनी सी
और चाल चंचला बिजली सी |
काले केश घनघोर घटा से
लहराते चहरे पर आते
प्रकाश पुंज सा गोरा रंग
लगी स्वर्ग की अप्सरा सी |
उसकी सुंदरता और निखार
और आकर्षण ब्यक्तित्व का
सम्मोहित करता
लगता प्रतीक सौंदर्य का |
जैसे ही निकली समीप से
उसके स्वर कानों में पड़े
उनकी कटुता से
सारा मोह भंग हो गया |
वह सोचने को बाध्य हुआ
कहीं न कहीं
कुछ तो कमी रह ही जाती है
कोइ पूर्ण नहीं होता |
आशा
सार्थक चिंतन .. सौन्दर्य बाह्य न हो कर अंदरूनी हो तो पूर्णता फिर भी संभव है
जवाब देंहटाएंअंततः आन्तरिक सौन्दर्य ही मायने रखता है !
जवाब देंहटाएंकविता जी सकारात्मकता का संदेश देती आपकी ये कविता पसंद आयी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
आन्तरिक सौन्दर्य का अपना ही महत्व होता है.. सार्थक चिंतन
जवाब देंहटाएंआन्तरिक खूबसूरती को बतलाती रचना...
जवाब देंहटाएंदैहिक सौंदर्य मात्र औरों के लिये नयन सुख की भांति होता है ! सच्चा आत्मिक होता है जो अपनों के लिये जीवन को सरस एवं जीने योग्य बनाता है ! वाणी में अपनत्व, मधुरता और कोमलता नहीं तो साथ में रहने वालों का जीना दूभर हो जाता है ! सार्थक चिन्तनयुक्त बेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंवह सोचने को बाध्य हुआ
जवाब देंहटाएंकहीं न कहीं
कुछ तो कमी रह ही जाती है
कोइ पूर्ण नहीं होता |
बहुत खूब ...सच बताती आपकी ये रचना
anu
sunder rachna...
जवाब देंहटाएंbahut khoob rahi sach ki bayanbazi.
जवाब देंहटाएंहर बार सब कुछ हमारे जैसा नहीं मिलता ....शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंसत्य कहा है आपने...
जवाब देंहटाएंरिमझिम सावन कैसा सुन्दर..
कितना भाये वृहत समंदर...
बिजली कहीं गिराए सावन...
सुनामी सागर के अन्दर...
सादर...
सार्थक एवं सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
सच सब में कुछ न कुछ कमी होती ही है| चिर सनातन सिद्धहंत का समर्थन करती सुंदर कविता|
जवाब देंहटाएंvery very nice
जवाब देंहटाएंकहीं न कहीं
जवाब देंहटाएंकुछ तो कमी रह ही जाती है
कोइ पूर्ण नहीं होता
behah sunderta ke saath ek badi sachchyee samne rakh din......bahot achcha laga.
वाह बेहस सटीक और सार्थक चिन्तन शायद तभी कहा गया है हर चमकने वाली चीज़ सोना नही होती।
जवाब देंहटाएंकोई भी इन्सान कभी भी पूर्ण नहीं हो सकता ....कुछ -न -कुछ कमियां तो होंगी ही
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंपूर्णता कहीं नहीं है...
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