15 फ़रवरी, 2011

गरीब की हाय

होता नहीं अच्छा
गरीब की हाय लेना
उसकी बद्दुआ लेना
उसकी हर आह
तुम्हारा चैन ले जाएगी
दिल दहला जाएगी
जिसकी कीमत
बहुत कुछ खो कर
चुकाना होगी |
हर आँसू तुम्हे
भीतर तक हिला जाएगा
चेहरे से जब नकाब उतरेगा
असली चेहरा सबके समक्ष होगा |
पर हर ओर तबाही
मच जाएगी
उसके रँग लाते ही
तुम्हारी जड़ें हिल जाएँगी |
झूट का सहारा ले
आसमान छूने का भरम
धुल धूसरित हों जाएगा
सब को असली रूप नज़र आएगा |
मत भूलो
कभी तुम भी गरीब थे
उनका पैसा लूट जो हों आज
कई घर उजाड़ आए हों |
जब आँसू ओर आहों का सैलाब
लावा बन जाएगा
तुम्हे कहीं का ना छोड़ेगा
समूल नष्ट कर जाएगा |

आशा






12 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना

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  2. कटु यथार्थ की व्याख्या करती एक सारगर्भित रचना ! बहुत सुन्दर !

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  3. मत भूलो
    कभी तुम भी गरीब थे
    उनका पैसा लूट जो हों आज
    कई घर उजाड़ आए हों |

    लेकिन कटु सत्य यह है कि पैसा आने के बाद कोई भी अपने पुराने दिन याद नहीं रखता..बहुत सार्थक रचना.

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  4. 'गरीब को मत सताईए जाकी मोटी हाय...।'
    जीवन के कडवे सच को उजागर करती रचना।

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  5. मत भूलो
    कभी तुम भी गरीब थे
    उनका पैसा लूट जो हों आज
    कई घर उजाड़ आए हों |
    जब आँसू ओर आहों का सैलाब
    लावा बन जाएगा
    तुम्हे कहीं का ना छोड़ेगा
    समूल नष्ट कर जाएगा |
    --
    बहुत ही सार्थक फटकार लगाती हुई सुन्दर रचना!

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  6. आप सब की आभारी हूँ क्यूँ की आपके प्रोत्साहन से बल मिलता है और अधिक लिखने को |
    आशा

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  7. इस रचना के माध्‍यम से आपने सही संदेश दिया है !!

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