11 जुलाई, 2011

तेरा प्यार




तेरा प्यार दुलार

भूल नहीं पाती

जब पाती नहीं आती

मुझे बेचैन कर जाती |

तेरे प्यार का

कोइ मोल नहीं

तू मेरी माँ है

कोई ओर नहीं |

आज भी

रात के अँधेरे में

जब मुझे डर लगता है

तेरी बाहें याद आती हैं |

कहीं दूर स्वप्न में

ले जाती हैं |

फिर सुनाई देती है

तेरी गाई लोरियाँ

आँखें बंद करो कहना

मेरा झूठमूठ उन्हें बंद करना |

सारा डर

भाग जाता है

जाने कब सो जाती हूँ

पता ही नहीं चलता |

आशा

17 टिप्‍पणियां:

  1. माँ के प्रति सुन्दर उद्दगार ... अच्छी प्रस्तुति

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  2. lovely lines..
    Loved the imagery and respect for a mother.
    undoubtedly they deserve it.

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  3. भावुक कर देने वाली कविता... बहुत सुन्दर

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  4. बहुत सुन्दर मन की कोमल भावनायो का सुन्दर चित्रण
    शुभकामनाये

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  5.  अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  6. माँ से बढ़ कर कोई नहीं ... सुन्दर रचना है ...

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  7. माँ के प्रति सुन्दर उद्दगार| सुन्दर रचना है|

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  8. खूबसूरत शब्दों से सजी हुई सुन्दर और मार्मिक रचना!

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  9. बहुत ही खूबसूरत रचना ! मन को भाव विभोर कर गयी !
    ‘आँखें बंद करो ‘कहना

    मेरा झूठमूठ उन्हें बंद करना |

    सारा डर

    भाग जाता है

    जाने कब सो जाती हूँ

    पता ही नहीं चलता |

    बचपन की जाने कितनी रातें याद आ गयीं ! बहुत सुन्दर !

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  10. माँ कभी नहीं सोती है सुंदर भावाव्यक्ति बधाई

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  11. 'आँखें बंद करो' कहना.....
    इस पंक्ति को आगे बढ़ कर ...............
    और मेरा उन्हें चुपचाप बंद करना
    ............ से जोड़ना

    इस कविता में अद्भुत माधुर्य पैदा कर रहा है| बधाई दीदी|

    कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे

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  12. माँ जगती आँखों से अपने नींद पूरी करती है .............माँ पर लिखी गई सुंदर कविता

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