03 मई, 2014

संसार अनोखा लेखन का



संसार अनोखा लेखन  का
एक वाक्य अर्थ अनेक
विविध रंग  उन अर्थों के
लेखक की सोच दर्शाते|
पाठक अपने अर्थ लगाते
कई अर्थ उजागर होते 
कुछ अर्थ पूर्ण कुछ अर्थ हीन 
अपनी छाप छोड़ जाते |
लेख कहानी कवितायेँ
 कुछ रचनाएं कालजयी
उन पर शोध होते रहते
साहित्य को समृद्ध करते |
कभी अर्थ का अनर्थ होता
शब्दार्थ गलत लगाने से
मन मुटाव पैदा होता
वैमनस्य बढ़ने लगता |
यह मनुष्यकृत संसार
शब्द संयोजन का
विचार लिपिबद्ध करने का
शिक्षा प्रद भी कभी दीखता |
कला वाक्य विन्यास की
इतनी सरल नहीं होती
विरले ही  होते सिद्धहस्त 
वही अमर कृतियाँ देते 
गहराई जिनकी सागर सी |
है यही संसार  
वाक्य संयोजन का
उनसे विकसित भाषा प्रयोग का |
आशा

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-05-2014) को "संसार अनोखा लेखन का" (चर्चा मंच-1602) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. कल 04/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  3. बहुत सुंदर ! वाकई लेखन का संसार वास्तव में अनोखा होता है ! हर रचना पाठक के ह्रदय पर भिन्न-भिन्न छाप छोडती है !

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  4. सचमुच अनोखा है लेखन संसार।

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  5. सही है ,विचित्र है ,परिवर्तनशील है यह लेखन की दुनिया !
    New post ऐ जिंदगी !

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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