संसार अनोखा लेखन  का 
एक वाक्य अर्थ अनेक 
विविध रंग  उन अर्थों के
लेखक की सोच दर्शाते|
पाठक अपने अर्थ लगाते 
कई अर्थ उजागर होते 
कुछ अर्थ पूर्ण कुछ अर्थ हीन
अपनी छाप छोड़ जाते |
कुछ अर्थ पूर्ण कुछ अर्थ हीन
अपनी छाप छोड़ जाते |
लेख कहानी कवितायेँ
 कुछ
रचनाएं कालजयी 
उन पर शोध होते रहते 
साहित्य को समृद्ध करते |
कभी अर्थ का अनर्थ होता 
शब्दार्थ गलत लगाने से 
मन मुटाव पैदा होता 
वैमनस्य बढ़ने लगता |
यह मनुष्यकृत संसार 
शब्द संयोजन का 
विचार लिपिबद्ध करने का 
शिक्षा प्रद भी कभी दीखता |
कला वाक्य विन्यास की 
इतनी सरल नहीं होती 
विरले ही 
होते सिद्धहस्त  
वही अमर कृतियाँ देते  
गहराई जिनकी सागर सी |
है यही संसार   
वाक्य संयोजन का 
उनसे विकसित भाषा प्रयोग का |
आशा

 
 
एक -एक पंक्ति सही है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-05-2014) को "संसार अनोखा लेखन का" (चर्चा मंच-1602) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर
हटाएंकल 04/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
सूचना हेतु धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुंदर ! वाकई लेखन का संसार वास्तव में अनोखा होता है ! हर रचना पाठक के ह्रदय पर भिन्न-भिन्न छाप छोडती है !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी बढ़िया है |
हटाएंसचमुच अनोखा है लेखन संसार।
जवाब देंहटाएंdhanyvaad
हटाएंसही है ,विचित्र है ,परिवर्तनशील है यह लेखन की दुनिया !
जवाब देंहटाएंNew post ऐ जिंदगी !
धन्यवाद कालीपद जी
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसटीक कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
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