जीवन वृक्ष में हरियाली छाई
अनगिनत पत्ते लगे
हरे भरे और पीले भूरे
उन पर धूप एहसासों की
तरह तरह के अनुभवों की
भावनाएं उकेरी गई उन पर
अनुभव कभी कटु हुए
कभी हुए सुमधुर
कड़वाहट घुली मन में
पर समय पा भुला दी गई
यादों में बसी मीठी यादें
उनके एहसासों की छुअन
पैठ गई दिल के कौने में
अनुभवों का हुआ जखीरा
शब्दों का साथ पा हुआ गतिमान
वह बह चला तीव्र गति से
अभिव्यक्ति की नदिया में
वह बह चला तीव्र गति से
अभिव्यक्ति की नदिया में
नई रचना ने जन्म लिया
फिर नई खोज में किया विचरण
निर्वाध गति से अनवरत आगे बढ़ता
पर एहसासों की छुआन दूर न हो पाती
आस पास लिपटी रहती
घेर लेती अपनी बाहों में
बढ़ती उम्र के साथ
होता एहसास भिन्न
बचपन में बात्सल्य का प्रभाव
होता एहसास भिन्न
बचपन में बात्सल्य का प्रभाव
युवा अवस्था में
प्रेम प्रीत के एहसासों की छुअन
प्रेम प्रीत के एहसासों की छुअन
वानप्रस्थ आते ही
छुअन बिचारों की करवट लेती
भक्ति की ओर झुकती
आस्था बढ़ती जाती
प्रभु से एकाकार होना चाहती |
आशा
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२२ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर सृजन दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
Thanks for the comment
हटाएंThanks for the comment
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