26 दिसंबर, 2018

एहसासों की छुअन


जीवन वृक्ष में हरियाली  छाई
अनगिनत पत्ते लगे
हरे भरे  और  पीले भूरे 
उन पर धूप एहसासों की
तरह तरह के अनुभवों की
 भावनाएं उकेरी गई उन पर
अनुभव कभी कटु हुए
कभी हुए सुमधुर
कड़वाहट घुली मन में
पर समय पा भुला दी गई
यादों में बसी मीठी यादें
उनके एहसासों की छुअन
पैठ गई दिल के कौने में
अनुभवों का हुआ  जखीरा
शब्दों का साथ पा हुआ गतिमान
वह बह चला तीव्र गति से
 अभिव्यक्ति की नदिया में 
नई रचना ने जन्म लिया 
फिर  नई  खोज में किया  विचरण
निर्वाध गति से अनवरत आगे बढ़ता 
पर एहसासों की छुआन दूर न हो पाती
आस पास लिपटी रहती
घेर लेती  अपनी बाहों में 
बढ़ती उम्र के साथ
 होता एहसास भिन्न
 बचपन में बात्सल्य का प्रभाव 
युवा अवस्था  में 
 प्रेम प्रीत के एहसासों  की  छुअन 
वानप्रस्थ आते ही 
 छुअन बिचारों की  करवट लेती 
भक्ति की ओर झुकती 
आस्था बढ़ती जाती 
प्रभु से एकाकार होना चाहती |

आशा

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २२ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. बहुत ही सुन्दर सृजन दी जी
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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