08 मई, 2019

गुलमोहर


कच्ची सड़क के दोनो ओर गुलमोहर के वृक्ष लगे
देते छाँव दोपहर में करते बचाव धूप से
 धरा से  हो कर  परावर्तित आदित्य की  किरणे
मिल कर आतीं हरे भरे पत्तों से
खिले फूल लाल लाल देख
ज्यों ही गर्मीं बढ़ती जाती
चिचिलाती धुप में नव पल्लव मखमली अहसास देते
चमकते ऐसे जैसे हों  तेल में तरबतर  
फूलों से लदी डालियाँ  झूल कर अटखेलियाँ करतीं
मंद मंद चलती पवन से
वृक्ष की छाया में लिया है आश्रय बहुत से जीवों ने
एक पथिक क्या चाहे थोड़ी सी छाँव थकान दूर करने के लिए
वह आता सिमट जाता छाँव के  एक कौने में
तभी  दो बच्चे आए
 लाए  डाल पर से छुपी तलवारें
  कहा आओ चलो शक्ति का प्रदर्शन करो
पेड़ से तोडी गई कत्थई तलवारें चलने लगी पूरे  जोश  से
दाव पर दाव लगाए सफल होने के लिए
पर दोनो बराबरी पर रहे हार उन्हें स्वीकार नहीं
तभी फूलों की वर्षा हुई  वायु  के बढ़ते  बेग से
बहुत हुई प्रसन्नता देख पुष्पों की वर्षा  
कहा यह है तुम्हारा पुरस्कार ईश्वर की और से |
                                                आशा 

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 09.09.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3330 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  2. धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |

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  3. टिप्पणी के लिए धन्यवाद अनुराधा जी |

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  4. वाह ! शब्द चित्र खींच दिया आपने ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  6. सुप्रभात
    मेरी रचनाकी सूचना के लिए आभार |

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  7. सुप्रभात
    सूचना हेतु आभार अनीता जी |
    आज मदर'स डे पर शुभ कामनाएं |

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