है वह 
बहुत खुशनसीब कि
 तुमने साथ उसका हर कदम पर दिया है 
उसे  आत्म निर्भर बनाने का 
 तुमने बीड़ा उठा उसे  संबल दिया है |
हर कार्य जो कठिन लगता था कभी  
सरलतम हल निकाल दिया जाता  
सफलता को छूने का मार्ग दिखा  
उसका  मनोबल बढ़ाया
 जाता था  |
 जब कदम उसने कठोर धरा पर रखे   
  है आत्म निर्भरता का  महत्व क्या?
  अब हुआ एहसास हुई जब वह  आत्मनिर्भर 
 सफल जीवन जीने के राज का हल  निकला है | 
हो जब आत्मनिर्भर कोई भी समस्या आए 
घबराहट से कोसों दूर रह जीने की ललक जागे
आत्मबल जाग्रत हो गर्व
से सर उन्नत हो 
कठिनाई छूने का नाम न ले  
कोसों दूर भागे |
कोसों दूर भागे |
आशा 

 
 
उपयोगी और प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंयशोदा जी आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए स्मिता |
जवाब देंहटाएंवाह ! आत्मनिर्भर व्यक्ति सदैव यशस्वी होता है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिये |
बहुत ही सुन्दर भावना प्रस्तुत की है प्रेरणास्त्रोतक
जवाब देंहटाएंथैंक्स DWAN जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएं