20 सितंबर, 2020

कहाँ सजाऊँ यादों को


 

 

है बहुत पुरानी बात

 अचानक आज याद आई

भूली भटकी यादों को

अब कहाँ समेटा जाए |

मस्तिष्क में अब

रिक्त स्थान नहीं है

इस याद को कहाँ समेटूं

कहाँ दूं स्थान इसे |

कैसे इसे याद रखूँ

किसी बात से जब मन दुखे

 उसे भूलना ही अच्छा है

जीवन सहज चलने के लिए है अति आवश्यक  |  

तुम से नेह कभी कम न हुआ

उसे जीवन भर का संचित धन  समझा

है वही अनमोल मेरे लिए

प्रभु भक्ति से बढ़ा  कम न हुआ  |

अब तो आदत सी हो गई  है

तुम्हारी यादों के संग जीवन बिताने की

उनसे दूर हो कर जी नहीं पाऊँगी

तुमसे यदि  न कही किससे कहूंगी |

                                                  आशा

19 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी हेतु आभार सहित धन्यवाद सर |

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  2. सूचना हेतु धन्यवाद दिग्विजय जी |

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  3. सूचना हेतु आभार रविन्द्र जी |

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  4. किसी बात से जब मन दुखे
    उसे भूलना ही अच्छा है
    जीवन सहज चलने के लिए है अति आवश्यक

    सार्थक एवं प्रेरक पंक्तियां

    जवाब देंहटाएं
  5. लाजवाब अभिव्यक्ति।
    यादों पर बहुत कुछ लिखा जा चुका
    और बहुत कुछ है बाकी।

    पधारें नई रचना पर 👉 आत्मनिर्भर

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  6. आस्था की बयार है आपकी ये रचना आशा जी, प्रणाम।
    तुम से नेह कभी कम न हुआ

    उसे जीवन भर का संचित धन समझा

    है वही अनमोल मेरे लिए

    प्रभु भक्ति से बढ़ा कम न हुआ |...अभ‍िभूत

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  7. सुन्दर सार्थक भावपूर्ण रचना ! बहुत बढ़िया !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर सार्थक....
    कुछ यादों को भुलाना ही श्रेयकर होता है

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  9. कोमल भावनाओं युक्त सुंदर रचना !!!
    बधाई!!!

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  10. बेहद खूबसूरत भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  11. धन्यवाद टिप्पणी के लिए सुजाता जी |

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