24 फ़रवरी, 2021

इमली खट्टी है



हे इमली के पेड़

तुम्हारे स्वभाव में

इतनी खटास क्यूँ ?

क्या तुम कभी

 मीठे हुए ही नहीं |

क्या तुम्हें  मीठी बाते

 पसंद नहीं आतीं

हर समय खटास

 भरी रहती है

तुम्हारे मन में |

यहाँ तक कि

 पत्तियाँ भी खट्टी

इतनी खटास क्यूँ ?

क्या कभी मीठे फल

चखे ही नहीं

या तुम्हारे दिल ने ही

 स्वीकारे  नहीं |

कभी तो मन तुम्हारा भी

 होता होगा  

कि जो तुम्हें खाए

तारीफ करे अरे वाह

कितनी मीठी है इमली |

पर वह है स्वप्न

तुम्हारे लिए

ना कभी मीठे हुए

ना भविष्य में होगे

जैसे हो वैसे ही रहोगे |

आशा 

14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद आलोक जी |

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 24 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  3. सपने सच्चे नाहींनहोते ,ये इमली के माध्यम से समझा दिया ।

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी के लिए संगीता जी |

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  4. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी के लिए ओंकार जी |

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  5. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी के लिए कुमार गौरव जी |

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  6. अच्छा तो है ! जो जैसा है उसे वैसा ही रहना चाहिए ना ! फ़िज़ूल की तारीफ़ के चक्कर में अपनी खासियतों को क्यों छोड़े कोई ! इमली मीठी हो गयी तो साम्भर और चटनी कैसे बनेगी ? हर चीज़ का अपना महत्त्व होता है !

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  7. सुप्रभात धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  8. आपसे कोई विषय अछूता नहीं रहेगा।
    बहुत सुन्दर रचना।

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