माँगा फगुआ
घर घर जा कर
आल्हा गा कर
चंग की थाप पर
कम से कम
किया है उपयोग
पिचकारी का
रंग भरी बाल्टी का
गुनगुनाते
गीत गाते फागुनी
नृत्य करते
जाते हैं झूम झूम
फागुनी हवा
जब चली आती है
मन में गीत
सहज उपजाती
प्रिय की याद
मन को बहकाती
यादें सताती
मीठी गुजिया
समोसे पपड़ी हैं
स्वागत किए लिए
फागुन आया
सभी को प्यार देने |
आशा
होली के अवसर पर सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |अग्रिम बधाई होली की |
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
बहुत बढ़िया ! होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंहोली पर शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |