07 मई, 2021

था एक अरमान


 

था  अरमान 

किसी बड़े आदमीं 

से मिलने का  

जल्दी ही  पूर्ण  हुई

यह चाह भी

देखी एक सूचना 

 अख्बार  में

देखी  आँखों में खुशी  

हुई   तैयार

इच्छा पूर्ति के लिए   

 अब  है पूर्ण     

 मन संतुष्ट हुआ 

ख़ुशी छाई है  

छोटी छोटी बातों से

हुआ आनंद 

खुशी का जमाबडा

इतना बढ़ा     

मन में न समाया

है  अनुपम   

इसका नहीं मोल

नहीं है ख्याल 

 ना  ही कल्पना में है

 सरल  दिखा 

 मन में  दुःख  छिपा      

  है तरीका  खुश  होने का

यह पल सहेजो

           है  अनुभूति              

 था अरमान यही

जो पूर्ण  हुआ  |

आशा 

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. जी बहुत बढ़िया है।
    एक बात जानने की इच्छा हो रही है....क्या यह रचना भी हाईकु विद्या का उदाहरण है? पर इसमें कुछ-कुछ पंक्तयां पूर्ण स्वतंत्र नहीं है। मुझे सीखने की लालसा इसलिए मैं ने पूछा। हाईकु विद्या के बारे में पहली बार आपके ही ब्लॉग पर जाना था। उस वक्त मेरे सवाल का जवाब साधना वैद जी के माध्यम से मिला था।

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  4. सुप्रभात
    हाइकु एक पूरी कविता होती है जिसमें तीन लाइनों में एक भाव लिखा जातां है |यह चोका पद्धती है जिसमें कई हाइकु मिल कर एक कविता बनाते हैं |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी बहुत-बहुत धन्यवाद आभार!!!
      मैं इसे समझने की कोशिश जरूर करूंगा।

      हटाएं
  5. धन्यवाद आपका आदरणीय

    जवाब देंहटाएं

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