13 जनवरी, 2022

मकर संक्रांति


 

त्राहि त्राहि मच रही है

इस सर्दी के मौसम में

पतंग तक उड़ा नहीं पाते

ना ही गुल्ली डंडा खेलते  |

घर में दबे महामारी के भय से 

जैसे ही कोई मित्र आए

मम्मी को पसंद नहीं आता

वह इशारे से मना कर देती |

छत पर जाने को पतंग उड़ाने को 

रंगबिरंगी पतंग काटने को 

मन मसोस कर रह जाते  

सोचा इस वर्ष नहीं तो क्या आगे जीवन पड़ा है| 

अभी बचपन नहीं गया है 

पर मन में खलिश होती रही  

सारा त्योहार ही बिगड़ गया

कुछ भी आनंद न आया |

 पतंग नहीं  उड़ाने में 

  तिल गुड़ खिचड़ी खाने में 

ना गए  मिलने मिलाने किसी से 

रहे घर में ही कोरोना  से बचने के लिए |

यही मन में रहा विचार 

सरकारी नियम पालना है जरूरी 

समाज में रहने के लिए 

अपने को निरोगी रखने के लिए |  

आशा  

7 टिप्‍पणियां:

  1. भीड़ में जाना मना है लेकिन अपने घर की छत पर अकेले पतंग उड़ाने में क्या बाधा है ? अकेले अपनी छत से खूब पतंग उड़ायें ! दूसरों की पतंग भी काटें और जम के त्यौहार मनाएं ! मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !

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    1. मकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएं |
      आभार सहित धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  2. सुप्रभात
    आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए |

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  3. इस महामारी ने हमे अपने त्यौहार भी सही से नहीं मानने दिए, आज की स्थिति का सही बखान करती रचना, लोहड़ी की बहुत-बहुत बधाई आपको

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  4. सुप्रभात
    आभीर सहित धन्यवाद हरीश जी टिप्पणी के लिए |आपको भी मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व के लिए बहुत बहुत बधाई सपरिवार |

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  5. कोरोना का यह अंतिम साल है, अगले बरस से सब सामान्य हो जाएगा

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